Three Language Policy India Education: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तीन भाषा नीति के बारे में कहा कि कक्षा 1 और 2 में दो भाषा सूत्र लागू होगा, जिसमें एक मातृभाषा और दूसरी छात्र की पसंद की भाषा होगी। कक्षा 6 से 10 तक तीन भाषा सूत्र लागू रहेगा। जानिए
Indian Languages Education: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में साफ कहा कि केंद्र किसी राज्य पर कोई भाषा थोप नहीं रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग तीन भाषा नीति को लेकर केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं, वे केवल राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। प्रधान ने बताया कि कक्षा 1 और 2 में दो भाषा सूत्र लागू होगा। इसमें एक भाषा मातृभाषा होगी। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में यह तमिल भाषा होगी। दूसरी भाषा विद्यार्थी अपनी पसंद से चुन सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोप नहीं रही है।
स्कूलों में तीन भाषा नीति क्या है?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विस्तार से बताया कि कक्षा 6 से 10 तक तीन भाषा सूत्र लागू होगा। इसमें एक भाषा मातृभाषा होगी और बाकी दो भाषाओं को विद्यार्थी अपनी पसंद से चुन सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह नीति पहले से कई राज्यों में लागू हो रही है, यहां तक कि BJP शासित राज्यों में भी। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में विद्यार्थी अपनी मातृभाषा हिंदी सीखेंगे। इसके बाद वे मराठी और तमिल जैसी भाषाओं को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकते हैं। UP सरकार को तमिल पढ़ाने की सुविधा प्रदान करनी होगी।
देश की केवल 10 प्रतिशत जनसंख्या बोलती है अंग्रेजी
प्रधान ने यह भी कहा कि देश की केवल 10 प्रतिशत जनसंख्या अंग्रेजी बोलती है, बाकी लोग अपनी मातृभाषा में शिक्षा और संवाद पसंद करते हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश के CM एन चंद्रबाबू नायडू के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि छात्र जितनी भाषाएं सीखेंगे, उतना वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
भाषा विवाद को राजनीति से जोड़ने वालों को चेतावनी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, भाषा हमेशा एक सहायक उपकरण है। जो लोग राजनीतिक रूप से संकुचित विचार रखते हैं, वे समस्या पैदा कर रहे हैं। उन्होंने अपने तमिलनाडु दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि वे स्वयं ओडिया हैं और अपनी भाषा पर गर्व करते हैं, लेकिन वे भारत की अन्य भाषाओं का भी सम्मान करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग भाषा के नाम पर समाज में विभाजन पैदा करना चाहते हैं, वे असफल हो चुके हैं। समाज इससे आगे बढ़ चुका है।
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समग्र शिक्षा अभियान और फंडिंग पर कही ये बात
प्रधान ने समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha Abhiyan) के तहत तमिलनाडु को फंड जारी न करने की बात पर कहा कि राज्य सरकार को MOU को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की नीतियों का पालन करना जरूरी है और राजनीतिक प्राथमिकताओं को छात्रों पर थोपना सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु को हर साल कई योजनाओं जैसे मिड डे मील के लिए पर्याप्त फंड मिल रहा है। उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यमोझी और डीएमके सांसद कनिमोझी से हाल ही में मुलाकात का जिक्र करते हुए भरोसा दिया कि केंद्र राइट टू एजुजेशन के मुद्दे पर पूरी तरह सहयोग करने को तैयार है।
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