Surname Change After Marriage in India: क्या शादी के बाद महिलाओं को ससुराल में अपना उपनाम (सरनेम) बदलना जरूरी है? जानिए क्या कहता है भारत का कानून, नाम बदलने की कानूनी प्रक्रिया क्या है और बिना उपनाम बदले रहने के फायदे या नुकसान क्या हैं।
Surname Change After Marriage: शादी के बाद ससुराल जाते ही अक्सर महिलाओं के मन में एक सवाल उठता है, क्या अब मुझे अपना सरनेम (उपनाम) बदलना पड़ेगा? समाज में यह आम धारणा है कि शादी के बाद महिला को पति का उपनाम अपनाना चाहिए, लेकिन क्या वाकई यह जरूरी है? कई महिलाएं सोचती हैं कि बिना उपनाम बदले कहीं उनके डॉक्युमेंट्स, बैंक या पहचान से जुड़ी दिक्कतें तो नहीं होंगी। अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं, तो हम आपको बता रहे हैं कि भारतीय कानून इस बारे में क्या कहता है और अगर कोई महिला चाहें तो नाम बदलने की कानूनी प्रक्रिया क्या होती है।
शादी के बाद सरनेम बदलना जरूरी है या नहीं?
कानून के हिसाब से किसी भी महिला के लिए शादी के बाद उपनाम बदलना अनिवार्य नहीं है। भारत का संविधान अनुच्छेद 19(1)(a) हर नागरिक को 'अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता' का अधिकार देता है। यानी शादी के बाद महिला चाहे तो पति का उपनाम अपना सकती है या फिर अपने मायके का नाम ही जारी रख सकती है। किसी भी सरकारी विभाग या संस्था की ओर से ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है कि शादी के बाद नाम बदलना जरूरी हो। यह फैसला पूरी तरह से महिला की व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है।
अगर शादी के बाद अपना उपनाम बदलना चाहें तो क्या है प्रक्रिया?
अगर कोई महिला चाहती है कि शादी के बाद उसका नाम या उपनाम बदले, तो इसके लिए एक सिंपल लीगल प्रोसेस होती है, जिसमें चार स्टेप शामिल हैं।
हलफनामा बनवाना
सबसे पहले आपको एक हलफनामा (Affidavit) बनवाना होता है।
इसमें आपका पुराना नाम, नया नाम, नाम बदलने का कारण और तारीख लिखी जाती है। यह हलफनामा नोटरी या न्यायिक स्टांप पेपर पर तैयार किया जाता है और उस पर आपके हस्ताक्षर होते हैं।
अखबार में नोटिस प्रकाशित करना
हलफनामा बनने के बाद नाम बदलने की जानकारी एक स्थानीय अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार, दोनों में प्रकाशित करनी होती है। इससे नाम बदलने की प्रक्रिया पब्लिक हो जाती है और आगे किसी भ्रम या विवाद की गुंजाइश नहीं रहती।
राजपत्र (Gazette) में प्रकाशित कराना
यह स्टेप सबसे महत्वपूर्ण है। राजपत्र में जब आपका नया नाम प्रकाशित हो जाता है, तो उसे कानूनी मान्यता मिल जाती है। इसके लिए आवेदन पत्र, पहचान पत्र, फोटो, हलफनामा और अखबार की कटिंग्स राजपत्र विभाग में भेजी जाती हैं। प्रक्रिया पूरी होते ही आपका नया नाम रजिस्टर में दर्ज हो जाता है।
सभी डॉक्यूमेंट्स अपडेट करवाना
राजपत्र में नाम दर्ज होने के बाद अब बारी आती है, अपने सभी सरकारी डॉक्युमेंट्स में नया नाम अपडेट करने की, जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक रिकॉर्ड, वोटर आईडी आदि। इनमें बदलाव करवाने के बाद आपका नया नाम आधिकारिक रूप से हर जगह मान्य हो जाता है।
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अगर शादी के बाद नाम न बदलें तो क्या नुकसान और क्या फायदे?
बहुत सी महिलाएं आजकल शादी के बाद भी अपना पुराना नाम ही रखती हैं और ऐसा करना बिल्कुल सही है। इससे आपकी पहचान, करियर, बैंक रिकॉर्ड, एजुकेशनल डॉक्यूमेंट्स और प्रोफेशनल इमेज पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर आप चाहें तो पति का उपनाम अपने नाम के आगे जोड़ सकती हैं या फिर दोनों नामों को साथ भी रख सकती हैं। कानून साफ तौर पर कहता है कि शादी के बाद उपनाम बदलना आपकी मर्जी है, कोई मजबूरी नहीं। आप चाहें तो पति का सरनेम अपनाएं, वरना पुराना नाम ही रखिए। दोनों ही तरीके कानूनी रूप से वैध हैं।
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