Karpoori Thakur: पीएम मोदी, बिहार, समस्तीपुर में कर्पूरी ठाकुर के पैतृक गांव पहुंचे। उन्होंने वहां कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी। इस बीच जानिए बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर के जीवन की 10 अनसुनी बातें। भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक।

Karpoori Thakur Life Facts: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार के समस्तीपुर स्थित कर्पूरी ठाकुर के पैतृक गांव पहुंचे। उन्होंने वहां कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार वालों से भी मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने यहीं से बिहार चुनाव 2025 के लिए बीजेपी और NDA के प्रचार अभियान की शुरुआत भी की। बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर का नाम भारतीय राजनीति और समाज सुधार के इतिहास में हमेशा चमकता रहेगा। 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले के पिटौनझिया गांव में जन्मे कर्पूरी ठाकुर ने गरीबों और पिछड़े वर्गों के लिए जीवन समर्पित किया। उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनने वाला समाज के पिछड़े तबके का पहला नेता माना जाता है। उनके काम और सिद्धांतों के कारण 2024 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जानिए कर्पूरी ठाकुर के जीवन की 10 बड़ी बातें।

कर्पूरी ठाकुर से जुड़े 10 फैक्ट्स 

  • कर्पूरी ठाकुर ने आजादी के लिए छोड़ दिया था कॉलेज: कर्पूरी ठाकुर ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके कारण उन्हें 26 महीने जेल में बिताने पड़े, जो उनके देशभक्ति और साहस को दिखाता है।
  • पिछड़े वर्ग से उठकर मुख्यमंत्री बने: वे नाई समाज से ताल्लुक रखते थे, जो उस समय के लिए बहुत कम ही मुख्यमंत्री बन पाते थे। इस कठिनाइयों के बावजूद वे बिहार के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल हुए।
  • गांव का नाम ‘कर्पुरी ग्राम’: उनके योगदान को याद करते हुए उनके पैतृक गांव पिटौनझिया का नाम बदलकर कर्पुरी ग्राम रख दिया गया।
  • शिक्षा में बदलाव लाने वाले नायक कर्पूरी ठाकुर: बिहार के शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने मैट्रिक में अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा कर हिंदी को बढ़ावा दिया। यह फैसला विवादित जरूर था, लेकिन उन्होंने भारतीय भाषा की अहमियत को सामने रखा।
  • 3-स्तरीय आरक्षण प्रणाली: 1978 में उन्होंने बिहार में तीन स्तर का आरक्षण लागू किया- पिछड़े वर्ग, अत्यंत पिछड़े वर्ग, महिलाएं और आर्थिक रूप से पिछड़े ऊंची जातियों को विशेष कोटा। यह नीति बाद में मंडल कमीशन के काम को प्रभावित करने वाली साबित हुई।
  • शराब पर पूर्ण प्रतिबंध: मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की, जो उस समय एक साहसिक और जनता के हित में लिया गया कदम था।

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  • कठिनाइयों के बावजूद कानून की पढ़ाई: बचपन में आर्थिक तंगी के बावजूद कर्पूरी ठाकुर ने पटना विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
  • श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष: 1960 में उन्होंने पोस्ट और टेलिग्राफ कर्मचारियों के हड़ताल का नेतृत्व किया, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार भी होना पड़ा। यह उनके कर्मचारियों और श्रमिकों के प्रति संवेदनशील रवैये को दिखाता है।
  • बड़े नेताओं के गुरु: कर्पूरी ठाकुर ने कई बिहार के बड़े नेताओं को मार्गदर्शन दिया, जिनमें लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, देवेन्द्र प्रसाद यादव और नीतीश कुमार शामिल हैं।
  • भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ मजबूती: संपत्ति और परिवार के दबाव के बावजूद कर्पूरी ठाकुर ने वंशवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख अपनाया और अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने गए।

कर्पूरी ठाकुर के जीवन के ये फैक्ट्स दिखाते हैं कि कर्पूरी ठाकुर सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नहीं थे, बल्कि सच्चे समाज सुधारक और पिछड़े वर्गों के समर्थक नेता थे। उनका जीवन और काम आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

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