सार
Success Story: यासीन शाह मोहम्मद की सफलता की कहानी किसी अटूट विश्वास, कुछ कर गुजरने के जज्बे की कहानी है। महज तीन साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। घर चलाने की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई, जो दूध बेचकर परिवार का गुजारा करती थीं। तंगहाली का आलम यह था कि वे एक जर्जर घर में रहते थे। लेकिन यासीन ने हालातों के आगे झुकने के बजाय अपने सपनों को जिंदा रखा और कड़ी मेहनत के दम पर खुद को साबित किया।
शुरुआती संघर्ष: अखबार बेचने से दूध पहुंचाने तक
यासीन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। तीन साल की उम्र में पिता के निधन के बाद, उनकी मां ने दूध बेचकर घर चलाने की कोशिश की। यासीन ने भी इस जिम्मेदारी को बांटने के लिए चार बजे सुबह उठकर अखबार बेचना शुरू कर दिया। इसके बाद वह घर-घर दूध पहुंचाते थे। दिन भर की मेहनत के बाद वे स्कूल जाते और पढ़ाई करते। इस संघर्ष ने यासीन को मजबूत बनाया और उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
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पढ़ाई और काम दोनों किया साथ-साथ
12वीं पास करने के बाद यासीन ने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा करने की ठानी। इस दौरान उन्होंने गुजरात में काम किया और अपने खर्चे खुद उठाए। डिप्लोमा पूरा करने के बाद, वे केरल लौटे और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई शुरू की।
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कानून की पढ़ाई का सफर
यासीन ने लॉ एंट्रेंस परीक्षा दी और टॉप रैंक के साथ पास हुए। उन्हें केरल के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी लॉ कॉलेज में एडमिशन मिला। यहां से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और कड़ी मेहनत की।
जज बनने का सपना हुआ पूरा
यासीन शाह मोहम्मद ने अपनी लगन और मेहनत के बलबूते पर केरल न्यायिक सेवा परीक्षा पास की और जज बनने का सपना पूरा किया। आज उनकी कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों के सामने हार मान लेते हैं। यासीन की सफलता यह बताती है कि हालात चाहे जितने भी कठिन हों, अगर इरादे मजबूत हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। उनके संघर्ष और मेहनत ने उन्हें एक साधारण डिलीवरी बॉय से एक सम्मानित जज बना दिया।
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