Teachers Making Global Impact: हर साल 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन पर जानिए भारत के उन प्रेरणादायक शिक्षकों के बारे में, जिन्होंने गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की जिंदगी बदलकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई।
World Teachers Day 2025: हर साल 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर के शिक्षकों के मेहनत, समर्पण और योगदान को सराहा जाता है। शिक्षक न केवल पढ़ाते हैं बल्कि समाज को दिशा और मूल्य भी देते हैं। उन्होंने छात्रों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया है। भारत में कई ऐसे शिक्षकों ने जन्म लिया है जिन्होंने सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं रहकर छात्रों की जिंदगी में बड़ा बदलाव किया। जानिए ऐसे तीन भारतीय शिक्षकों की कहानी, जिन्होंने गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करके अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान भी बनाई।
एचसी वर्मा: भारत के फिजिक्स लेजेंड
एचसी वर्मा यानी डॉ हरीश चंद्र वर्मा का नाम हर IIT और NIT की तैयारी करने वाले छात्र जानते हैं। उनकी किताब “Concepts of Physics” ने भारत में विज्ञान शिक्षा को पूरी तरह बदल दिया। ये मूल रूप से दरभंगा, बिहार के रहने वाले हैं। फिजिक्स की पढ़ाई को आसान और रोचक बनाने में उनका खास योगदान है। इन्हें साल 2021 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने भारत ही नहीं ग्लोबल लेवल पर लाखों छात्रों को इंजीनियरिंग और रिसर्च के लिए प्रेरित किया है। दिलचस्प बात यह है कि शुरुआती दिनों में डॉ हरीश चंद्र वर्मा को पढ़ाई में खास रुचि नहीं थी। लेकिन मेहनत और लगन से वे IIT कानपुर के प्रोफेसर बने और देश के सबसे सम्मानित शिक्षकों में शुमार हो गए।
आनंद कुमार: सुपर 30 के पीछे का विजनरी
आनंद कुमार बिहार के पटना में 2002 से सुपर 30 प्रोग्राम चला रहे हैं। हर साल यह प्रोग्राम 30 आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को चुनता है और IIT प्रवेश परीक्षा की मुफ्त कोचिंग देता है। ये सुपर 30 प्रोग्राम के जरिए ही फेमस हुए। शुरुआत साल 2002 में पटना, बिहार से की। वैश्विक स्तर पर लोग इन्हें जानते और मामनते हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में फीचर होने के साथ ही इनकी बॉलीवुड बायोपिक भी बनी। सैकड़ों गरीब छात्रों को IIT में सीट दिलाने में इनकी खास भूमिका है। आनंद कुमार की यह सेवा सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को तोड़ती है और गरीब छात्रों के सपनों को उड़ान देती है।
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आरके श्रीवास्तव: 1 रुपये के गुरु
आरके श्रीवास्तव, जिन्हें 1 रुपये के गुरु के नाम से जाना जाता है, गणित पढ़ाने के लिए केवल 1 रुपए फीस लेते हैं। उनका उद्देश्य गरीब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। गरीब छात्रों के लिए सस्ता शिक्षा मॉडल लाने के लिए ये खास तौर पर फेमस हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा कर ये दुनिया भर में पॉपुलर हो चुके हैं। इनके पढ़े 950 से ज्यादा छात्र IIT-JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो चुके हैं। इनके कुछ विशेष छात्र जिसमें Google बॉय, कौटिल्य पंडित और कई छात्र ऑक्सफर्ड व ETH ज्यूरिख में पढ़ाई करने गए। उनकी शिक्षा पद्धति और परोपकारी दृष्टिकोण ने उन्हें भारत के राष्ट्रपति और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी सराहना दिलाई।
तीनों शिक्षकों का लक्ष्य एक समान है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना। इनके प्रयासों से हजारों छात्र सफल इंजीनियर, रिसर्चर और इनोवेटर बने हैं। विश्व शिक्षक दिवस 2025 पर इनकी कहानी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये शिक्षक साबित करते हैं कि शिक्षण सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि समाज को ऊपर उठाने का मिशन है। इनकी अंतरराष्ट्रीय मान्यता भारत की गुरु-शिष्य परंपरा की मिसाल है। विश्व शिक्षक दिवस हमें याद दिलाता है कि शिक्षा के जरिए जीवन और समाज में असली बदलाव लाया जा सकता है।
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