सार

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के बाद कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि अगर किसी के साथ ऐसा हो जाए तो क्या करना चाहिए? इस मामले में कानून क्या कार्रवाई करती है? इससे कैसे बच सकते हैं? यहां जानें..

करियर डेस्क : चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (Chandigarh University) में छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के बाद से ही हंगामा मचा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ छात्राओं ने तो खुदकुशी करने की कोशिश भी की है, हालांकि पुलिस-प्रशासन ने ऐसा होने से इनकार किया है। इस मामले में अब तक दो गिरफ्तारी हो चुकी है। पकड़े गए दोनों युवक पर आईपीसी की धारा 354 सी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। देश में हर दिन कई महिलाएं इस तरह से शिकार होती हैं। कई बार झूठे प्यार के जाल में तो कई बार चुपचाप उनके आपत्तिजनक वीडियो या फोटो ले लिए जाते हैं, जिनका उन्हें पता भी नहीं होता। इसके बाद इन्हें वायरल कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति से बचने आपको अपने अधिकार और कानून (Law Against Abuse Content) के बारें में जानकारी होनी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं अश्लील फोटो या वीडियो मामले में क्या होता है अधिकार और इस मामले को लेकर क्या कहता है कानून..

5 साल तक जेल, जुर्माना भी
जब किसी महिला का आपत्तिजनक कंटेंट वायरल किया जाता है तो उससे उसके सम्मान को ठेस पहुंचती है। यह एक गंभीर अपराध है। इसमें समझौता करना का प्रावधान नहीं है। ऐसी स्थिति में आरोपी पर धारा 354 सी के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें एक साल से पांच साल तक जेल और जुर्माना भी लगाया जाता है। वैसे तो आईटी एक्ट के तहत कई धाराएं भी हैं लेकिन कुछ धाराएं ऐसी हैं, जो इस तरह के मामले में सीधे तौर पर लागू  होती हैं। इसमें पुलिस सीधा दखल देती है और कार्रवाई करती है।

ये हैं धाराएं

  • अगर किसी तरह की आपत्तिजनक सूचना पब्लिश की जाती है तो धारा 67 के तहत एक्शन
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडियम से सेक्सुअल या अश्लील चीजें वायरल या पब्लिश करने पर धारा 67 A के तहत दंड का प्रावधान
  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी आपत्तिजनक कंटेंट जिसमें बच्चों को अश्लील अवस्था में दिखाया गया हो, उसमें धारा 67 B के तहत कार्रवाई
  • किसी की प्राइवेसी खत्म करने यानी कि निजता के हनन मामले में धारा 66 E के तहत दंड का प्रावधान
  • आपसी विश्वास और निजता के हनन मामले में धारा 72 A के तरह कार्रवाई

क्या है आपके अधिकार और कानून

  1. अगर किसी महिला या लड़की का अश्लील वीडियो एडिट कर सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है तो स्त्री अशिष्ट रूपण प्रतिषेध अधिनियम 1986 (Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986) की धारा 6 के तहत कार्रवाई की जाती है। 
  2. किसी भी शख्स की बिना उसके परमिशन फोटो खींचना, किसी को भेजना या पब्लिश करने पर आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66A के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। इस मामले में 3 साल की जेल और एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
  3. अगर किसी महिला का आपत्तिजनक कंटेंट सोशल मीडिया पर वायरल करता है तो उसके खिलाफ धारा 67 के तहत एक्शन लिया जाता है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में इसी के तहत कार्रवाई हो रही है।
  4. किसी महिला का अश्लील वीडियो बनाकर उसे सेक्स के लिए मजबूर करना सेक्सुअल हरासमेंट का केस माना जाता है। ऐसे मामले में आईपीसी की धारा 354 (A) के तहत कार्रवाई होती है। इसमें 3 साल तक की कठोर जेल या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।
  5. अगर किसी महिला के नहाते वक्त, कपड़े बदलते समय या न्यूड फोटो खींची जाती है तो यह बी अपराध की श्रेणी में आता है। धारा 354 सी के तरह पुलिस इस मामले में कार्रवाई करती है। चंडीगढ़ मामले में भी आरोपियों के खिलाफ इसी केस के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें 5 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।
  6. अगर कोई महिला अपनी प्राइवेट फोटोज खींचने की परमिशन देती है लेकिन लोगों के बीच पब्लिश या वायरल करने की नहीं, इसके बावजूद भी उसे प्रसारित किया जाता है तो यह अपराध है और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है।
  7. अगर ये अपराध 18 साल से कम लड़कियों के साथ किया जाता है तो मामला पास्को एक्ट का बनता है औऱ चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तहत एक्शन लिया जाता है। यह अधिनियम काफी कठोर है और लड़कियों के संरक्षण से जुड़ा हुआ है।

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