सार
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थानों को अगले शैक्षणिक सत्र से चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट ऑनर्स डिग्री कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार नाजिम के अनुसार, जनवरी में पहले एकेडेमिक फिर एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक होगी।
एजुकेशन डेस्क। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की ओर से यूनिवर्सिटियों को अगले शैक्षिणक सत्र से चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट ऑनर्स डिग्री कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। यह खुलासा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एक टॉप लेवल के अधिकारी की ओर से किया गया है। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से आयोग के निर्देश पर क्रियान्वयन यानी एक्जीक्यूशन की जांच के लिए एक समिति भी बनाई है।
अकादमिक परिषद यानी एकेडेमिक काउंसिल जनवरी में इस रिपोर्ट पर सुनवाई करेगी। वहीं, यूनिवर्सिटी की अंतिम निर्णय लेने वाली संस्था कार्यकारी परिषद यानी एक्जीक्यूटिव काउंसिल इसके बाद रिपोर्ट पर चर्चा करेगी। अभी ऑनर्स डिग्री के लिए छात्रों को तीन साल का अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नाजिम हुसैन अल-जाफरी के अनुसार, हमने चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के निर्देशों को पूरा करने के लिए जांच समिति का गठन कर दिया है। निर्धारित समिति इस मामले को देख रही है। अल-जाफरी ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
तीन साल के कोर्स को चार साल में बांटने की स्ट्रेटजी पर काम
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नाजिम हुसैन अल-जाफरीके अनुसार, समिति तीन साल के पाठ्यक्रम को चार साल में बांटने की रणनीति पर काम कर रही है। अकादमिक परिषद जनवरी में इस संबंध में एक बैठक करेगा। इसके बाद अंतिम निर्णय के लिए कार्यकारी परिषद इस मामले पर चर्चा करेगा। बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिसंबर महीने की शुरुआत में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के करिकुल और क्रेडिट स्ट्रक्चर का ऐलान किया था। इसमें छात्रों को सिंगल मेजर और डबल मेजर के साथ-साथ कई एंट्री और डिपार्चर ऑप्शन भी दिए गए हैं। यूजीसी की ओर से उच्च शिक्षा से जुड़े सभी संस्थानों से अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम पाठ्यक्रम को और क्रेडिट स्ट्रक्चर को अपनाने के लिए सभी जरूरी कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया गया है। मौजूदा फ्रेमवर्क को अभी चल रहे च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम में बदलाव करके तैयार किया गया है।
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