सार
कंगना रनोट से जुड़े विवाद में एक नई बात सामने आई है। बता दें कि कंगना के पाली हिल्स स्थित ऑफिस को अवैध बताकर तोड़ दिया था। इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत लगाई गई अर्जी में खुलासा हुआ है कि कंगना के खिलाफ केस लड़ने के लिए बीएमसी अब तक वकीलों को 82 लाख रुपए का पेमेंट कर चुकी है। मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट शरद यादव ने बीएमसी से पूछा था कि कंगना के केस में किस वकील को अप्वाइंट किया और उसे कितना पमेंट किया गया। जवाब दिया कि हाईकोर्ट में केस लड़ने के लिए वकील आकांक्षा चिनॉय को नियुक्त किया गया था। उन्हें 11 बार में 82.5 लाख रुपए का पेमेंट किया गया।
मुंबई. महाराष्ट्र सरकार और कंगना रनोट (kangana ranaut) से जुड़े विवाद में एक नई बात सामने आई है। बता दें कि कंगना के पाली हिल्स स्थित ऑफिस को अवैध बताकर तोड़ दिया था। इस मामले में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लगाई गई अर्जी में खुलासा हुआ है कि कंगना के खिलाफ केस लड़ने के लिए बीएमसी अब तक वकीलों को 82 लाख रुपए का पेमेंट कर चुकी है। मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट शरद यादव ने बीएमसी से पूछा था कि कंगना के केस में किस वकील को अप्वाइंट किया और उसे कितना पमेंट किया गया। जवाब दिया कि हाईकोर्ट में केस लड़ने के लिए वकील आकांक्षा चिनॉय को नियुक्त किया गया था। उन्हें 11 बार में 82.5 लाख रुपए का पेमेंट किया गया।
अब शरद यादव ने सवाल खड़े किए हैं कि टैक्सपेयर्स के पैसों को इस तरह आपसी लड़ाई में क्यों खर्च किया जा रहा है। उनके मुताबिक शुरुआत में बीएमसी ने ये जानकारी देने से मना कर दिया था लेकिन बाद में जब उन्होंने मांग वापस नहीं ली तो जवाब मिला। उन्होंने पूछा कि बीएमसी के पास अपने वकील हैं जो महंगी फीस लेते हैं, ऐसे में उनका इस्तेमाल क्यों नहीं लिया गया।
कंगना ने बुधवार को ट्वीट कर महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा- म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने मेरे घर में अवैध तरीके से की गई तोड़फोड़ के लिए अब तक 82 लाख रुपए खर्च किए हैं। एक लड़की को चिढ़ाने के लिए पापा के पप्पू ने जनता के पैसे खर्च किए, महाराष्ट्र की यह स्थिति हो गई है, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण। वहीं, भाजपा नेता नीतेश राणे ने ट्वीट कर कहा- मुंबईकर पेंगुइन और कंगना के केस में वकीलों को पेमेंट करने के लिए टैक्स भरते हैं। अब क्या बचा है? इनके बच्चों की शादी भी हमारे पैसों से होगी लगता है।
बता दें कि बीएमसी ने कंगना के दफ्तर पर एक्शन लिया था और अतिक्रमण को हटा दिया था। तभी से कंगना और उद्धव सरकार में लगातार इस मसले पर जंग जारी है।