120 Bahadur फिल्म में 1962 के रेजांग ला युद्ध में 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 120 ज्यादातर अहीर जवानों की वीरता दिखाई गई है, लेकिन अहीर समाज में इसे लेकर सम्मान के साथ-साथ टाइटल और इतिहास की प्रस्तुति पर बड़ा विवाद और बहिष्कार की बहस भी चल रही है।
फरहान अख्तर की हालिया रिलीज फिल्म ‘120 बहादुर’ एक ऐसी वॉर फिल्म के रूप में सामने आई है, जो कथिततौर पर अहीर कम्युनिटी द्वारा देश की रक्षा में दिए गए योगदान को दिखाती है। इंटरनेट पर इसे लेकर यूजर्स की अलग-अलग राय है। एक धड़ा है, जो यह मान रहा है कि यह फिल्म ना सिर्फ अहीर कम्युनिटी की ताकत दिखाती है, बल्कि उनका सम्मान भी करती है। कहा जा रहा है कि एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी इस फिल्म के मेकर्स ने कहानी अहीर सैनिकों की बहादुरी, अनुशासन और बलिदान को इतनी ईमानदारी से पिरोया है, जिसकी ख़ूब चर्चा हो रही है। वहीं, एक धड़ा है, जो कहानी से संतुष्ट नहीं हो रहा है।
X यूजर ने की अहीर कम्युनिटी से फिल्म देखने की अपील
मिनिस्ट्री ऑफ़ अहीर्स नाम के एक X पेज से लिखा गया है, "120 बहादुर में अहीरों की वीरता दिखाई गई है। मैं देख चुका हूं। आप लोग भी देखें। फ्लॉप ना होने दें। हरियाणवी में अहीरों की बातों में मत आएं। खुद देखें।" इतना ही नहीं, इसी यूजर ने एक अन्य पोस्ट में लिखा है, "मैंने भी आज ही देखी है भाई। अच्छी मूवी है। मेरे भाई लोग मूवी देखकर आओ। अगर 17-18 बार अहीर शब्द सुनाई ना मिले तो मुझे यहीं आकर गाली देना। दादा कृष्ण का जयकारा तुम सबको बहुत पसंद आएगा।"
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हालांकि, इस यूजर की पोस्ट पर बहस छिड़ गई है। एक यूजर ने नाराजगी जताते हुए लिखा है, "तुमको देखना है तो देखो, प्रचार करना है, करो। लेकिन हरियाणवी अहीर बोलकर हमारी अहीर एकता को कमज़ोर मत करो।" एक अन्य यूजर का कमेंट है, "कितने में बिका भाई? अगर इसमें अहीरों का थोड़ा बहुत जिक्र भी है तो वो हरियाणवी यादवों की वजह से हो पाया है। नहीं तो इसमें जिक्र भी नहीं होता।" एक यूजर ने सवाल उठाते हुए लिखा है, “लेकिन इसमें एक सीन है, जिसमें कहा जाता है कि आज़ादी से पहले अहीरों की रेजिमेंट हुआ करती थी। लेकिन अहीरों में अनुशासनहीनता के कारण उसको ख़त्म कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि आज़ादी से पहले अहीरों की कोई रेजिमेंट थी? अगर नहीं तो क्यों नहीं? लेकिन मैं चाहूंगा कि आप इसका जवाब दें।”
फिल्म की रिलीज से पहले हो रहा था विरोध
दरअसल, फिल्म की रिलीज के बाद अहीर समुदाय ने आरोप लगाया है कि मेकर्स ने इस मूवी में उनकी समाज के बलिदान को नज़रअंदाज़ करती है।वहीं ज्यादातर दर्शकों की तारीफ़ मिल रही है। कई लोग यह मान रहे हैं कि जिन लोगों ने पहले फिल्म पर आपत्ति उठाई थी, उन्हें यह फिर से देखनी चाहिए। उनका कहना है कि वे लोग इस फिल्म को खुले मन से दोबारा देखें, ताकि वे समझ सकें कि इसमें अहीर समुदाय की पहचान और उनकी अटूट बहादुरी को बेहद सम्मानजनक तरीके से दिखाया गया है।
क्या है '120 बहादुर' की कहानी?
रजनीश घई के निर्देशन में बनी फिल्म '120 बहादुर' में 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय की रेजांग ला की लड़ाई दिखाई गई है, जिसमें भारतीय सेना की 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 120 जवानों की अद्भुत वीरता को दिखाती है। फरहान अख्तर इस फिल्म में मेजर शैतान सिंह भाटी (पीवीसी) के किरदार में दिखाई दे रहे हैं।वही मेजर शैतान सिंह भाटी, जिन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर मुश्किल हालात में दुश्मन से जंग लड़ते हुए इस लड़ाई को सबसे यादगार लड़ाइयों में शामिल कर दिया।
