सार

'आदिपुरुष' पर छिड़े विवाद के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। मंगलवार को कोर्ट ने जहां सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माताओं को फटकार लगाई थी तो वहीं बुधवार को भी कोर्ट रूम में सख्ती देखने को मिली।

एंटरटेनमेंट डेस्क. 'आदिपुरुष' (Adipurush) पर जारी विवाद के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फटकार लगाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सेंसर बोर्ड पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस फिल्म को पास करना सेंसर बोर्ड का ब्लंडर है। हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं को भी फटकार लगाई है और कहा है कि कुरान पर ऐसी एक छोटी सी डॉक्युमेंट्री भी बनाकर दिखा दीजिए, फिर देखिए क्या होता है। हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को मौखिक रूप से सलाह दी है कि धार्मिक फिल्मों के रिव्यू के लिए बोर्ड को एक अलग से गाइडलाइन बनानी चाहिए, ताकि विवाद की स्थिति उत्पन्न होने से पहले ही उससे बचा जा सके। हालांकि, अभी तक कोर्ट का मामले में कोई फैसला नहीं आया है।

‘आदिपुरुष’ विवाद पर यह है हाईकोर्ट की टिप्पणी

बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिल्म के खिलाफ लगाई गई एक PIL पर सुनवाई चल रही थी। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर हमने आज अपने मुंह बंद कर लिए तो आप जानते हैं कि क्या होगा? ये घटनाएं दिन व दिन बढ़ती जा रही हैं। मैंने एक फिल्म देखी थी, जिसमें भगवान शंकर को बेहद फनी अंदाज में अपने त्रिशूल के साथ भागते दिखाया गया था। अब ये चीजें दिखाई जाएंगी? फिल्ममेकर्स पैसे कमाएंगे, क्योंकि फिल्म बिजनेस करेगी।"

हाईकोर्ट ने आगे कहा, "ज़रा सोचिए कि आपने गलत तथ्यों के साथ कुरान पर एक छोटी सी डॉक्युमेंट्री भी बना दी तब क्या होगा? हालांकि, मैं एक बार फिर साफ़ करना चाहता हूं कि यह किसी एक धर्म के बारे में नहीं है। संयोग से इस मुद्दे का संबंध रामायण से है, वरना कोर्ट सभी धर्मों का है।

‘आदिपुरुष’ को सर्टिफिकेट देना ब्लंडर : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन को हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं और कहा है, "इस फिल्म को सर्टिफिकेट देना एक ब्लंडर है और इससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।"

‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं की मानसिकता पर सवाल

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, कोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं की मानसिकता पर सवाल उठाया है और कहा है, "आपको कुरान, बाइबिल और अन्य पवित्र ग्रंथों को नहीं छूना चाहिए। हम साफ़ करना चाहते हैं कि यह किसी एक धर्म के बारे में नहीं है। आपको किसी भी धर्म को गलत तरीके से पेश नहीं करना चाहिए। कोर्ट का अपना कोई धर्म नहीं है। हमारी चिंता बस इतनी है कि लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रहना चाहिए।" बता दें कि एडवोकेट कुलदीप तिवारी ने फिल्म के खिलाफ याचिका लगाई है। फिल्म में दिखाए गए गलत तथ्यों और इसके डायलॉग्स में इस्तेमाल की गई टपोरी भाषा पर विवाद हो रहा है।

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