सार
एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड फिल्मों की सबसे फेमस मां और खासकर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की ऑनस्क्रीन मां निरूपा रॉय (Nirupa Roy) की 94वी बर्थ एनिवर्सरी पर उसने जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। निरूपा का जन्म 1931 में वलसाड में हुआ था। उन्होंने कुछ फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया और फिर पत्नी और मां के किरदार निभाने लगी। उन्हें हीरोइन के तौर पर उतनी पॉपुलैरिटी नहीं मिली, जितनी वे मां के रोल में फेमस हुईं। एक वक्त था जब वे हर दूसरी या तीसरी फिल्म में मां के किरदार में नजर आतीं थीं। उन्होंने कई फिल्मों में बिग बी की मां का रोल प्ले किया। निरूपा अपने किरदारों को लेकर पॉपुलर तो हुईं लेकिन फिल्मों में एक्टिंग करने की उन्हें बहुत बड़ी सजा मिली, जिसका उन्हें जिंदगीभर दुख रहा। आइए, जानते हैं निरूपा रॉय के बारे में कुछ अनसुनी बातें...
15 साल की उम्र में हुई थी निरूपा रॉय की शादी
निरूपा रॉय के माता-पिता ने उनकी शादी महज 15 साल की उम्र में कमल रॉय से कर दी थी। वैसे निरूपा का असली नाम कोकिला किशोरचंद्र बुलसारा है। 1983 में फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में निरूपा ने बताया था उनके पति हीरो बनना चाहते थे। 1946 में विष्णु कुमार व्यास ने अपनी गुजराती फिल्म के लिए नए कलाकारों को मौका देने एक विज्ञापन निकाला। उनके पति ने फॉर्म भरा दिया और उन्हें लेकर ऑडिशन देने पहुंचे। पति को तो कोई रोल नहीं मिला लेकिन उन्हें सेलेक्ट कर लिया गया। फिर डायरेक्टर व्यास ने उन्हें स्क्रीन नाम निरूपा रॉय दिया। उनके पति इस बात से काफी खुश थे और उन्होंने उन्हें फिल्में करने के लिए पूरा सपोर्ट किया।
पिता ने जिंदगीभर नहीं देखा निरूपा रॉय का चेहरा
निरूपा रॉय ने इंटरव्यू में बताया था कि पति तो उनके फिल्में करने से खुश थे, लेकिन जब माता-पिता को ये बात पता चली तो वे बहुत नाराज हुए। उन्होंने बताया था कि उनके घर पर फिल्मों का नाम लेना भी गुनाह था, ऐसे में जब पिता को उनके फिल्मों में काम करने के बारे में पता चला तो वे आगबबूला हो गए। माता-पिता ने मरते दम तक दोबारा उनकी कभी शक्ल तक नहीं देखी। इस बात का दुख निरूपा को जिंदगीभर रहा।
पहली बार बनी थी देवानंद की मां
1946 में आई फिल्म अमर राज से निरूपा रॉय ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कुछ और फिल्में की। 1953 में आई फिल्म मुनीमजी में उन्होंने पहली बार मां का रोल प्ले किया। इस फिल्म में वे खुद से बड़े देवानंद की मां बनीं थीं। इसके बाद उन्हें मां के रोल ऑफर होने लगे। 1975 में आई यश चोपड़ा की फिल्म दीवार उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने खून पसीना, इंकलाब, अमर अकबर एंथोनी, सुहाग, गिरफ्तार, मुकद्दर का सिकंदर, मर्द, गंगा-यमुना-सरस्वती, तीसरा आंख, बेताब, लाल बादशाह सहित कई फिल्मों में मां का किरदार निभाया।
250 फिल्मों में किया था निरूपा रॉय ने काम
निरूपा रॉय ने अपने करियर में तकरीबन 250 फिल्मों में काम किया था। उन्हें 3 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। 2004 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 13 अक्टूबर 2004 को हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। उस वक्त वे 72 साल की थीं।
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