सार

यह कहानी रूद्र की है, जिसकी 9 साल की बेटी के साथ दो दरिंदों ने बर्बरता की हदें पार कर दी। क्या रूद्र अपनी बेटी के लिए न्याय पा सकेगा या सिस्टम के आगे झुक जाएगा?

एंटरटेनमेंट डेस्क. देश इन दिनों दरिंदगी की अलग-अलग घटनाओं की वजह से चर्चा में है। फिर चाहे पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ट्रेनी नर्स का रेप के बाद मर्डर हो या फिर महाराष्ट्र के बदलापुर में नाबालिग लड़की से दरिंदगी या फिर अकोला के शिक्षक द्वारा 6 मासूमों का अश्लील वीडियो दिखाकर मोलेस्ट करना हो। पूरा देश इन घटनाओं से उबल रहा है और सभी की एक ही मांग है इंसाफ। इन घटनाओं से एक कहानी याद आती है, जिसे पढ़कर आपकी भी रूह कांप जाएगी। जानिए कैसे दो दरिंदों ने 9 साल की एक बच्ची का रेप कर उसके साथ मारपीट कर उसे अधमरी हालत में पत्थरों तले दबा दिया था...

यह है गांव के सीधे-सादे रूद्र की कहानी

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के शिकारपुर गांव के सीधे-सादे रूद्र की, जो पत्नी पारो, 9 साल की बेटी मुनिया (दुर्गा), उसके दो छोटे भाई लव और कुश के साथ शांति से रह रहा था। लेकिन एक दिन अचानक ऐसा कुछ होता है कि उसकी जिंदगी में भूचाल आ जाता है। उस रोज़ पारो ने मुनिया को बनिया की दुकान से कुछ सामान लेने भेजा था, जो घर से कुछ दूर थी। मुनिया ने सामान लिया और अठखेलियां करते हुए घर लौट रही थी। तभी उसकी नज़र दो लड़कों बच्चू और भोला पर पड़ी, जो शराब के नशे में धुत थे और अपनी मोटरसाइकिल को स्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे। मुनिया को उनकी हालत देखकर हंसी आ गई। बालमन उत्सुकताओं से भरा होता है और शायद इसी उत्सुकता में मुनिया उन लड़कों के पास पहुंची और अपने मासूम अंदाज़ में उन्हें भैया कहते हुए पूछ लिया कि क्या उनकी मोटरसाइकिल चालू नहीं हो रही है। लेकिन लड़कों के दिमाग में तो दरिंदगी भरी हुई थी, उन्होंने उस बच्ची का हाथ पकड़ा और फिर उसे झाड़ियों में ले जाकर ना केवल उसका गैंगरेप किया, बल्कि उसे मारा-पीटा और अधमरी हालत में वहीं पत्थरों से दबाकर छोड़कर भाग गए।

रेप ऐसा कि डॉक्टर की तक रूह कांप गई

जब रूद्र और पारो को अपनी बेटी की ऐसी हालत के बारे में पता चला तो वह उसे अस्पताल ले गया। दरोगा रामनारायण भारद्वाज को बुलाया गया, जिसे डॉक्टर ने बताया कि बच्ची का निर्दयता से रेप किया गया है, उसे मल्टीप्ल फ्रैक्चर हुए हैं, उसके पूरे शरीर में 70 टांके आए हैं। इधर बच्चू और भोला को ध्यान आता है कि उनका ब्रेसलेट तो घटनास्थल पर गिर गया है और जब वे उसे ढूंढने वहां जाते हैं तो रामनारायण भारद्वाज उन्हें गिरफ्तार कर लेता है, जो पहले से ही केस की तहकीकात के सिलसिले में वहां मौजूद था। बच्चू और भोला गांव के जमीनदार ठाकुर अवध नारायण सिंह के बेटे हैं, जिसका उन्हें बिगाड़ने में सबसे बड़ा हाथ है।

आरोपियों को बचाने की हर संभव कोशिश

ठाकुर अवध नारायण सिंह ने पहले रूद्र को खरीदने की कोशिश की, उसे 6 लाख रुपए का लालच दिया। रूद्र नहीं माना तो दरोगा रामनारायण भारद्वाज को लाखों रुपए की रिश्वत दी गई। फिर बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टर को 5 लाख रुपए में खरीद लिया गया। जब सभी जगह से उम्मीद टूट जाती है तो रूद्र बंदूक उठा लेता है और उस अदालत में घात लगाकर बैठ जाता है, जहां से बच्चू और भोला को जमानत मिलने वाली होती है। रूद्र अदालत में पहुंचने से पहले ही दोनों आरोपियों को मौत की नींद सुला देता है।

कहानी अभी बाक़ी है...

यह जो कहानी है, यह फिल्म 'पिता' की कहानी है, जिसमें संजय दत्त ने रूद्र, नंदिता दास ने पारो, तनवी हेगड़े ने मुनिया, सिद्धार्थ रे ने बच्चू ठाकुर, विनीत कुमार सिंह ने भोला ठाकुर, ओम पुरी ने ठाकुर अवध नारायण सिंह, अंजन श्रीवास्तव ने डॉक्टर और जैकी श्रॉफ ने दरोगा रामनारायण भारद्वाज का रोल निभाया था। ठाकुर के दोनों बेटों की मौत के बाद कहानी क्या मोड़ लेती है, इसके लिए आप फिल्म देख सकते हैं। महेश मांजरेकर निर्देशित 'पिता'4 जनवरी 2002 को रिलीज हुई थी। दर्शक इस फिल्म को जी5 और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे OTT प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।

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