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Budget 2022 : Bank Fixed Deposit से लोगों का हो रहा मोहभंग, लॉक-इन अवधि को कम करने की जरुरत
बिजनेस डेस्क। बजट 2022 में टैक्स सेविंग बैंक FD को और आकर्षक बनाने के लिए ऐलान होना चाहिए । पिछले कुछ सालों में 5 साल की लॉक-इन अवधि को कम करने की जरुरत महसूस की जा रही है। दरअसल बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार में आई तेजी ने कई निवेशकों को Bank Fixed Deposit से दूर किया है, अब निवेशक म्यूचुअल फंड या शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश की ओर रुख करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। ऐसे में बैंकों में जमा राशि पर सीधा असरप पड़ रहा है। देखें इस संबंध में भारतीय बैंक संघ (IBA) का क्या कहना है...
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सावधि जमा (एफडी) को और अधिक व्यवहारिक निवेश विकल्प बनाने के लिए, भारतीय बैंक संघ (IBA) ने एफडी के लिए लॉक-इन अवधि को मौजूदा पांच वर्षों से घटाकर तीन वर्ष करने के लिए टैक्स ब्रेक के लिए एक केस बनाया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों को, "IBA ने वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत एक प्रस्ताव में कहा है कि "बाजार में उपलब्ध अन्य वित्तीय उत्पादों (जैसे ELSS) की तुलना में, tax-saver सावधि जमा (एफडी) पहले के मुकाबले अब कम महत्व का हो गया है। लेकिन यदि लॉक-इन अवधि कम हो जाती है तो यह ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करेगा।
दरअसल बीते कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा ब्याज दरों में लगातार कीजा रही गिरावट के कारण बैंक के FD निवेशक अब कहीं और अपना धन निवेश करन का मन बना रहे हैं। बैंकों में एफडी तुड़वाने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। खाताधारक तेजी से अपने धन का निवेश शेयर मार्केट में करने के लिए आगे आए हैं। (फाइल फोटो)
इसके अलावा, सरकार ने छोटी बचत योजनाओं जैसे पीपीएफ, सावधि जमा, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (PPF, term deposits, Senior Citizens Saving Scheme, National Savings Certificate) आदि पर ब्याज दरों में कई तिमाहियों से बढ़ोतरी नहीं की है। ये भी वजह है कि बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज को लेकर लोगों का मोहभंग हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आया है, जिससे कई निवेशकों को बैंक में धन जमा करने से दीगर विकल्प दे दिया है। अब कुछ निवेशक म्यूचुअल फंड या शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश करने के लिए प्रेरित हुए हैं। इसका नतीजा है कि उच्च आय वर्ग में कुछ वरिष्ठ नागरिकों के अलावा, अधिकांश अन्य जमाकर्ता पांच साल की एफडी से दूर हो रहे हैं।
दरअसल पांच वर्षों में बैंक एफडी को धारा 80 सी के तहत टैक्स ब्रेक के लिए eligible बनाया गया था, जो निर्दिष्ट निवेश ( specified investment) के लिए उपलब्ध 1.5 लाख रुपये के वार्षिक लाभ के हिस्से के रूप में था। लाभ के साथ भी, यह पीपीएफ की तुलना में कम आकर्षक है क्योंकि इन एफडी पर अर्जित ब्याज कर योग्य है।
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