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अब लॉकडाउन में वापस लौटे लाखों मजदूरों को मिलेगा काम! कुछ ऐसा मोदी सरकार का 'मास्टरप्लान'
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क्या कर रही है मोदी सरकार?
लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। इस संकट में मजदूरों को मजबूरी में अपने गांव-घर लौटना पड़ा। मजदूरों के रोजगार संकट के बीच मोदी सरकार एक्टिव है। मोदी सरकार करीब 30 लाख से ज्यादा ऐसे मजदूरों का डेटाबेस जुटा रही है जो अपने राज्यों में लौट चुके हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार ने सभी राज्यों से वापस लौटने वाले मजदूरों का डेटाबेस तैयार करने को कहा है। इस डेटाबेस के जरिए कई योजनाओं और स्किल के हिसाब से मजदूरों के रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।
मोदी कैबिनेट ने बनाई GoM
सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा असर मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, हॉस्पिटैलिटी, ऑटो और MSME सेक्टर के कारोबारमें लगे लोगों पर पड़ा है। केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत की अगुवाई में बने GoM में महेंद्र चंद्र पांडे, प्रताप सारंगी समेत कई मंत्री शामी हैं। GoM ने ही राज्यों को डेटाबेस के लिए चिट्ठी भेजी है।
डेटाबेस में राज्यों से किस तरह की जानकारी लेंगे?
केंद्र ने जिला, तहसील और पंचायत के स्तर पर राज्यों में वापस लौटे मजदूरों की डिटेल, उनकी स्किल, पंसद और उनके पूर्व के काम के ब्यौरे को मांगा है। डेटा मिलने के बाद इसे श्रम मंत्रालय के साथ-साथ अन्य सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों साझा किया जाएगा।
मंत्रालय डेटा का क्या करेंगे
इस डेटा पर सभी मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट देंगे। जिसके बाद स्किल के हिसाब से मजदूरों को सरकार की योजनाओं में काम दिया जाएगा। सरकार प्राइवेट सेक्टर की मदद लेकर मजदूरों की दक्षता के हिसाब से उन्हें नौकरी देगी। प्राइवेट कंपनियों को ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार पैदा करने को कहा जा सकता है।
मोदी सरकार इस मजदूरों को रोजगार देने की योजना पर बहुत तेजी से काम कर रही है।