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नया स्कूल मॉडल: हफ्ते में 1 या 2 दिन ही जाना पड़ेगा स्कूल, दोस्तों से रखनी होगी दूर और NO स्कूल बैग

नई दिल्‍ली. कोरोना की महामारी के चलते स्‍कूलों में पढ़ाई का तरीका बदल सकता है। सरकार इसकी तैयारी में जुट गई है। पूरे अकैडमिक सेशन में केवल 100 दिन स्‍कूल खुल सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें 50 फीसदी होम क्‍लासेज का प्रस्‍ताव है। अभी पूरे सेशन में 220 वर्किंग डेज होते हैं। इसमें पढ़ाई का शेड्यूल 1,320 घंटों का होता है। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय स्‍कूल में पढ़ाई के मॉडल में बदलाव करने वाला है। वह इसे लेकर एक प्रस्‍ताव पर काम कर रहा है। नए नियमों के मुताबिक एक दिन में स्कूल में आने वाले बच्चों की संख्या से लेकर उनके सैनिटाइज होने तक का ख्याल रखा जाएगा। कॉपी पेन से कहीं ज्यादा मास्क सैनिटाइजर की खपत लगेगी।  हम आपको कोरोना को कंट्रोल करने के बीच स्कूल के नए नियमों के बारे में बता रहे हैं।

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Asianet News Hindi
Published : May 29 2020, 05:29 PM IST
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इसमें स्‍कूल में पढ़ाई के दिनों को घटाकर 100 दिन और घंटों को कम करके 600 घंटे किए जाएंगे। इसी के अनुपात में घर पर पढ़ाई का शेड्यूल होगा। यानी घर में बच्‍चे पढ़ाई को 100 दिन और 600 घंटे देंगे। बाकी के बचे 120 घंटे या 20 दिनों को स्‍कूल या घर में डॉक्‍टरों और काउंसलरों के लिए अलग रखा जाएगा ताकि बच्‍चों के समुचित स्‍वास्‍थ्‍य की देखरेख सुनिश्चित की जा सके।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एचआरडी मंत्रालय जल्‍द ही इन दिशानिर्देशों को जारी कर सकता है। जिन बच्‍चों के पास ऑनलाइन लिखने-पढ़ने की सुविधा नहीं है, उन्‍हें स्‍कूलों को मदद मुहैया कराने के लिए कहा जा सकता है।

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प्रवासी बच्‍चों को एडमिशन

 

केंद्र सभी राज्‍यों को एक और निर्देश दे सकता है। इसमें राज्‍यों को अपने घर लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्‍चों को नजदीकी स्‍कूल में तुरंत दाखिला देने के लिए कहा जाएगा। ट्रांसफर सर्टिफिकेट के बगैर किसी भी पहचान पत्र के आधार पर ऐसा करना होगा। साथ ही साथ जिन स्‍कूलों से प्रवासी मजदूरों के बच्‍चे निकले हैं, उन्‍हें खुलने पर तुरंत इन बच्‍चों के नाम काटने के लिए कहा जाएगा।

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अटेंडेंस को लेकर नियम

 

प्रस्‍ताव है कि एक समय में 30-50 फीसदी से ज्‍यादा बच्‍चे स्‍कूल में नहीं होंगे। इसके लिए दो शिफ्ट बनाई जा सकती हैं। 1 से 5वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हफ्ते में केवल दो दिन जाना अन‍िवार्य किया जा सकता है। वहीं, 6 से 8वीं कक्षा को हफ्ते में 2-4 बार लगाने के निर्देश आ सकते हैं। 9 से 12वीं के छात्रों के लिए हफ्ते में 4-5 बार कक्षा में आना जरूरी हो सकता है।

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बदलेगा मूल्‍यांकन का तरीका

 

मंत्रालय पेन और पेपर आधारित मूल्‍यांकन की व्‍यवस्‍था में बदलाव कर सकता है। बजाय इसके रोल प्‍ले, क्विज, प्रजेंटेशन, प्रोजेक्‍ट वर्क इत्‍याद‍ि को तरजीह दी जाएगी। प्रस्‍तावित फ्रेमवर्क में टीचर और स्‍टाफ की सेहत पर खास ध्‍यान दिया जाएगा।

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और क्‍या नियम आ सकते हैं ?

 

क्‍लासरूम, स्‍टाफरूम, रिसेप्‍शन में 6 फीट की दूरी जरूरी हो सकती है। जहां संभव है, वहां फिजिकल डिस्‍टेंसिंग के साथ एयर/टेम्‍परेरी आउटडोर क्‍लासेस हो सकते हैं। 
 

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स्‍कूल से निकलने के लिए अलग-अलग एंट्री और एक्जिट लेन का प्रस्‍ताव हो सकता है। स्‍कूल की बसों को रोजाना दो बार सैनिटाइज करना होगा। बसों में वन सीट वन चाइल्‍ड पॉलिसी लागू की जा सकती है। 

 

थर्मामीटर, डिसइंफेक्‍टेंट्स, साबुन, मास्‍क इत्‍याद‍ि के लिए स्‍कूलों को बजट बनाना होगा। 5वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए स्‍कूल बैग खत्‍म किया जा सकता है।

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