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IAS Success Story: किसान पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर भरी फीस, अफसर बनकर बेटे ने चुका दिया कर्ज
नई दिल्ली. अगर इरादे मजबूत हों तो राह में आने वाली कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती। इस बात को साबित कर दिखाया है बुलंदशहर के वीर प्रताप सिंह ने अफसर बनकर। वीर के पिताजी ने ब्याज पर पैसा लेकर इनकी पढ़ाई पूरी करवायी लेकिन आर्थिक अभावों के आगे कभी घुटने नहीं टेके। तंगहाली से जूझकर भी वीर प्रताप पढ़ाई की और यूपीएससी में अच्छी रैंक पाकर अफसर बनकर दिखा दिया। वीर ने ये बात हमेशा दिमाग में रखी कि उसके पिता ने पढ़ाने के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाया था।
आईएएस सक्सेज स्टोरी (IAS Success Story) में हम आपको वीर के संघर्ष और जज्बे की कहानी सुना रहे हैं-
| Published : May 19 2020, 01:49 PM IST / Updated: May 19 2020, 02:13 PM IST
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वीर प्रताप सिंह राघव के पिता किसान थे। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वे चाहकर भी शिक्षा पूरी नहीं कर पा रहे थे। उनके बड़े भाई भी सिविल सर्विसेस की तैयारी करना चाहते थे। पर पैसे के अभाव में उनकी यह इच्छा अधूरी रह गयी और उन्हें सीआरपीएफ की नौकरी करनी पड़ी।
ऐसे में वीर के पिता और बड़े भाई दोनों ने मिलकर ठाना की अब छोटे भाई को सपनों से समझौता नहीं करने देंगे। उनके पिताजी ने तीन प्रतिशत महीने के ब्याज पर पैसा उधार लिया और बेटे को पढ़ाई के लिये दे दिया।
वीर ने भी अपने पिता और भाई के सहयोग का मान रखा और तीसरी बार में यूपीएससी की यह कठिन परीक्षा साल 2018 में 92वीं रैंक के साथ पास कर ली। इस प्रकार दलतपुर गांव के इस बेटे ने सफलता की नयी कहानी लिख दी जो आज सभी युवाओं के लिये प्रेरणास्त्रोत हैं।
वीर का स्कूल गांव से पांच किलोमीटर दूर था। यह लंबी दूरी वे रोज़ तय करते थे और ऐसे ही उन्होंने कक्षा पांच तक की पढ़ाई पूरी की। पुल के न होने के कारण उन्हें कई बार नदी पार करके स्कूल तक का रास्ता तय करना पड़ता था। पर वे किसी भी हाल में निराश नहीं होते थे। वीर प्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हासिल की।
उच्च शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में बीटेक पास किया। इसमें दर्शनशास्त्र उनके पास ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में था। खास बात यह है कि इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के होने के बावजूद वीर प्रताप सिंह मुख्य परीक्षा में दर्शनशास्त्र विषय में सबसे अधिक अंक लाने वाले कैंडिडेट्स की सूची में दूसरे स्थान पर रहे।
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राघव ने फेसबुक पर अपने संघर्षों को बयां करते हुए लिखा था, "मैंने सफलता की ढेर सारी कहानियां पढ़ीं मैं भी आज अपनी स्टोरी शेयर करता हूं। हम जानते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं। मगर तमाम ऐसे भी हैं, जो गांवों से निकलते हैं, उनकी जिंदगी बहुत संघर्ष भरी होती है।
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एक साक्षात्कार में वीर प्रताप सिंह राघव ने अपनी कहानी शेयर करते हुए कहा कि हम देखते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं, पर तमाम ऐसे भी होते हैं जो गांवों से निकलकर आईएएस बनते हैं। ऐसे लोगों की कहानी बहुत संघर्ष भरी होती है। इस परीक्षा की तैयारी के विषय में उनका मानना है कि सफलता के लिये कोई शॉर्ट कट नहीं होता, जो व्यक्ति पूरे दिल से बाकी सबकुछ भूलकर मेहनत करता है अंततः वही सफल होता है।
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वीर की जिंदगी में कई बार ऐसे अवसर आये जब अभावग्रस्त जीवन ने उन्हें निराश कर दिया लेकिन इरादे के पक्के वीर न तो कभी थके न ही रुके। इन शतत प्रयासों का ही परिणाम है कि दो बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मंजिल तक पहुंचने के बाद ही दम लिया। वीर की कहानी हमें सिखाती है कि जिनके हौसले अटल होते हैं, उनका रास्ता कोई नहीं रोक सकता।