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UPSC 2020: 2 बार में नहीं कर पाए क्वालिफाइ तो इन बातों पर किया फोकस, चौथे प्रयास में टॉपर बन गए प्रखर जैन
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नौकरी के दौरान आया तैयारी का विचार
उनका कहना है कि परिवार के लोग हमेशा से कहते थे कि एक बार यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इससे अच्छा पद मिलता है और काम करके अच्छा लगता है। जब कॉलेज गया, तब मेरा मन नहीं था। जब नौकरी कर रहा था, तब मुझे लगा कि मैं हमेशा जॉब करता रहूंगा। पैसे तो आ जाएंगे, पर जो काम करता था उसमें मजा नहीं आ रहा था। मुझे लगा कि ये काम करना चाहिए। उस समय मुझे महसूस हुआ और जब आप ललितपुर जैसे क्षेत्र से होते हैं। आईएएस और आईपीएस कितना काम कर सकते हैं और उनके पास कितने अवसर होते हैं। मुझे लगा कि यह काम मेरे भी अनूकुल रहेगा। यही सोच कर प्रयास करना शुरू कर दिया। पांच महीने नौकरी की तो मुझे लगा कि परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए तो फिर नौकरी छोड़ दी।
प्रेशर और टेंशन नहीं लेना है बस इस पर फोकस था
पिछले साल दो बार यूपीएससी का इंटरव्यू दिया था। एक बार सिविल का और एक बार फॉरेस्ट का तो यह सब महसूस हो रहा था कि यदि इंटरव्यू के दिन में रिलैक्स रहा तो ज्यादा दिक्कत नहीं आनी चाहिए। इस बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा था। प्रेशर और टेंशन नहीं लेना है। बस इस पर फोकस था।
परिवार ने बदल दी दिशा
प्रखर जैन का कहना है दोनों भाई प्रतीक जैन और प्रवेश जैन, माता—पिता और दादाजी निहालचंद जैन को अपनी सफलता का श्रेय दूंगा। प्रतीक जैन आईआईटी कानपुर से ग्रेजुएट है और उन्होंने भी इस वर्ष यूपीएससी बोर्ड में इंटरव्यू दिया था। प्रवेश की पढ़ाई पूरी हो चुकी है। इस समय वह नौकरी कर रहे हैं। तैयारी के लिए भाइयों व परिवार का पूरा साथ मिला। मैं नौकरी नहीं कर रहा था तो आर्थिक रूप से परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहता था। उस समय पापा और दादाजी का सहयोग था। उन लोगों ने कहा कि उसकी चिंता मत करो, जब तुमने इतने समय तक तैयारी की है तो अब इसे अंजाम तक ले जाओ। यह पूरा ही होने वाला है। जब यह महसूस हुआ कि कम से कम अब घर पर बोझ नहीं बनना है तो परिवार वालों ने दिशा ही बदल दी। परिवार के लोगों ने कहा कि कोशिश करो।
शुरू किया तो खत्म भी करूंगा
तैयारी के दौरान हताशा निराशा आती थी। मेरे दो पहले प्रयास में प्रिलिम्स भी नहीं निकला तो दूसरे प्रयास के बाद काफी हताश भी था लेकिन छोटे भाई के सहयोग से काफी अच्छा लगा। छोटे भाई ने भी उसी समय यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी। हम लोग एक साथ पढ़ाई करते थे। वह काफी मददगार रहा। हर कोई जो तैयारी करता है तो किसी न किसी सोच के तहत करता है। मैंने भी वही सोचा था कि जब एक अच्छी पोस्ट पर जाएंगे तो काफी अच्छे तरीके से काम कर पाएंगे। इस सर्विस में काम करने के काफी अच्छे अवसर मिलते हैं। यही सोचा की जब शुरू किया है तो खत्म भी करना चाहिए।
तैयारी में मिला परिवार का सहयोग
प्रखर कहते हैं कि जब आप घर में बड़े हों तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, उनके बीच आपको सामंजस्य बनाना होता है। परीक्षा के दौरान संघर्ष रहा। यूपीएससी परीक्षा में चार बार प्रयास किया। जब दो प्रयास में प्रीलिम्स भी नहीं निकला तो उस दौरान थोड़ी शंका हो रही थी, कभी कभी सोचता था कि बहुत हुआ अब परीक्षा छोड़ देनी चाहिए। लेकिन माता पिता का सहयोग रहा तो तैयारी करता रहा।
चौथे प्रयास में बने आईएएस
प्रखर जैन की प्रारम्भिक शिक्षा एसडीएस कान्वेंट स्कूल, ललितपुर से हुई। 12वीं विदिशा मध्यप्रदेश के न्यू जैन हायर सेकेंड्री स्कूल से पास किया। आईआईटी कानपुर से सन 2016 में इलेक्ट्रिकल से इंजीनियरिंग की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने गुड़गांव की एक कम्पनी में नौकरी की और इसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की। प्रखर जैन का कहना है कि चौथे प्रयास में वह आईएएस बने हैं। तीसरे प्रयास में उनकी 693 वीं रैंक आयी थी, जिसके चलते उन्हें डिफेंस एकाउंट सर्विस काडर मिला था। उन्होंने सर्विस से छुट्टी लेकर तैयारी करना ज्यादा बेहतर समझा। प्रखर ने बताया उनकी पढ़ाई में हमेशा से रूचि थी। स्कूल में पढ़ाई करनी हो या फिर किसी कम्पिटीशन में भाग लेना हो, वह उसमें पीछे नहीं रहते थे। उन्हें परिवार को पूरा सपोर्ट मिला। जिसकी वजह से पढ़ाई में फोकस बना रहा।
सोशल मीडिया का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों इस्तेमाल
सोशल मीडिया का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों इस्तेमाल है। अच्छी बात यह है कि आप सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से जुड़ सकते हैं। आप जो पहले परीक्षा क्रैक कर पाएं। उनके अनुभव भी पढ़ पाते हो। अपनी रणीनीति बनाने के लिए उनसे टिप्स भी ले सकते हो। दूसरी बात यह है कि आपको अपने जैसे और भी लोग मिलेंगे जो तैयारी कर रहे हैं। आप ग्रुप स्टडी भी कर सकते हो। यह काफी अच्छा होता है, क्योंकि यूपीएससी में अकेले तैयारी करना काफी चैलेंजिंग हो जाता है। इसका नकारात्मक पहलू भी है लेकिन यदि आप ज्यादा समय सोशल मीडिया पर नुकसान कर देंगे तो समस्या होगी। सोशल मीडिया को 100 फीसदी नजरअंदाज तो नहीं कर सकते हैं। बहुत सोच समझकर इसका प्रयोग करना चाहिए। आप किस ग्रुप में जुड़े हैं आपको इसका ख्याल रखना होगा।
यह मिली सीख
RBI का इंटरव्यू दिया था। फाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं आया था। उस दिन सात बजे से प्रारम्भिक परीक्षा का एक टेस्ट था। आरबीआई का रिजल्ट देखा, थोड़ा बैठा। पांच मिनट सोचा और फिर मैंने कहा कि अब यह रिजल्ट तो हो गया। अब आगे बढ़ो जो हो गया सो हो गया। बीते हुए चीजों से सिर्फ सीख ही ले सकते हो।
अपना 100 प्रतिशत दीजिए
प्रखर का कहना है कि आप जिस फील्ड में हो वहां अपना 100 फीसदी दीजिए। आपकी खेल में रूचि हो या आप कॉलेज में हो या फिर आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हो, आप जो भी चीजें कर रहे हों। उसमें आपको अपना 100 प्रतिशत देना चाहिए। उसमें किसी भी तरह की शर्म और झिझक नहीं होनी चाहिए। आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो फिर आप अपनी पूरा ताकत झोंक दीजिए। स्टार्टअप कर रहें है तो उस पर पूरा फोकस करिए। आपने जो भी गोल बनाया है उस पर पूरा फोकस करिए। गीता में भी लिखा है कि कर्म करते रहिए और फल की चिंता मत करिए।
स्रोत सीमित रखिए, ज्यादा अभ्यास करिए
आप जो भी किताबें पढ़ रहे हैं या आपने अपने ज्ञानवर्धन के लिए जो भी स्रोत बना रखे हैं। उनको सीमित रखिये। ऐसा नहीं है कि ये भी किताब पढ़ लूं और वह भी किताब पढ़ लूं। स्रोत सीमित रखिए और उनको बार—बार दोहराते रहें। दूसरा आप यूपीएससी के पूर्व के वर्षों के प्रश्न पत्रों को ठीक से पढ़ लीजिए। उससे आपको पता लगेगा कि क्या—क्या विषय पढ़ना महत्वपूर्ण है। प्रैक्टिस का भी काफी महत्व है। यदि आप प्रारम्भिक परीक्षा दे रहे हैं तो उस तरीके के टेस्ट अटेम्पट करिए यदि आप मुख्य परीक्षा दे रहे हैं तो उसके पहले उस तरीके के टेस्ट अटेम्पट करिए। यदि आप इंटरव्यू तक पहुंच गए हैं तो आप मॉक इंटरव्यू दीजिए। बोलने की प्रैक्टिस करिए। हर स्टेज पर अलग—अलग तरीके की प्रैक्टिस बहुत महत्वपूर्ण होती है।
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