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UPSC की तैयारी कर रहे स्टूडेंट के पास होते हैं कई सवाल, IAS बनने वाली टॉपर ने कहा- सवाल भेजें, जवाब मैं दूंगी
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मन में कभी हार ना मानने वाली भावना होना जरूरी
वरुणा उत्तराखंड (Uttrakhand) के रुद्रपुर (Rudrapur) की रहने वाली हैं। वे कहती हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं को समझना जरूरी है कि उसमें पास होने के लिए क्या क्वालिटी जरूरी है। सिर्फ सेलेबस पढ़कर पास नहीं हुआ जाता। कभी हार न मानने वाली भावना होनी चाहिए। अभिमान नहीं होना चाहिए। यह मानवीय गुण अपने अंदर पहले से ही विकसित करने होंगे। तभी आप अपने लक्ष्य पर फोकस कर पाएंगे।
अपनी ताकत और कमजोरी को पहचानिए...
आप लोगों से प्रेरणा लीजिए, सबकी स्ट्रेटजी पढ़िए, मगर अंत में अपनी ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाइए। मेरी रणनीति मेरे लिए काम करेगी, क्योंकि वह मैंने अपनी ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखकर बनाई है। हर व्यक्ति की ताकत और कमजोरी अलग-अलग हो सकती है। वे यह भी कहती हैं कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। मन में विश्वास और भरोसा ही सफलता दिलाता है। वे दो प्रयासों में काफी अंतर से बाहर हुईं। लेकिन, मोटिवेट बनी रहीं और आखिरकार मंजिल तक पहुंच गईं।
जीवन में कन्फ्यूज मत होइए...
वरुणा कहती हैं कि जीवन में कन्फ्यूज मत होइए। एक बैकअप जरूरी है, रखना भी चाहिए। मगर बैकअप पर ज्यादा फोकस से मुख्य लक्ष्य छूट जाता है। जीवन में हमेशा डिस्ट्रैक्शन आते रहते हैं। यदि आप डिस्ट्रैक्ट हो जाएंगे तो कभी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। सिर्फ एक ही चीज नहीं करनी है कि पढ़ रहे हैं तो पढ़ ही रहे हैं। किसी हाबी को भी साथ लेकर चलिए। इससे जीवन में संतुलन बना रहे।
यदि UPSC को लेकर कोई सवाल है तो संपर्क कर सकते हैं
यदि आपके मन में UPSC परीक्षा की तैयारी से जुड़े कोई सवाल हैं, जिसका उत्तर आपका रास्ता आसान कर सकता है तो आप इस संबंध में वरुणा अग्रवाल से ईमेल आईडी varuna.agrawal4students@gmail.com के जरिए जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वरुणा कहती हैं कि मदद करने से किसी की राह आसान हो सकती है। और मंजिल तक पहुंचनने में मदद मिलती है।
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दो बार असफल, नहीं मानी हार, तीसरे प्रयास में 38वीं रैंक
यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) में वरुणा (Varuna Agrawal) ने 38 वीं रैंक हासिल की है। उनका ये तीसरे प्रयास में आईएएस (IAS) बनने का सपना पूरा हुआ। इससे पहले उन्होंने दो बार प्रयास किए, लेकिन तब सफल नहीं हो सकीं। कभी-कभी उन्हें यह राह कठिन लगती थी। खासकर जब पहले प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा से आगे नहीं बढ़ सकीं। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में उन्होंने इंटरव्यू (UPSC Interview) दिया, तो सिर्फ तीन अंकों की कमी की वजह से वह मेरिट लिस्ट में जगह नहीं पा सकी। ऐसे समय में परिजन और दोस्तों ने हौसला बढ़ाया।
परीक्षा को पास फेल के रूप में न देखें
वरुणा कहती हैं कि परीक्षा को पास और फेल के रूप में न देखें, बल्कि लर्निंग के रूप में देखें। सीखने से आपको खुशी मिलती है। फिर चाहे आप परीक्षा में फेल हो जाओ या नंबर कम आएं। आपकी संतुष्टि बनी रहती है कि आपने कुछ सीखा है। जब उनके नंबर कम आते थे तो वह यही सोचती थी कि कुछ सीखने को मिला। कल से बेहतर आज मेरे पास जानकारी है। इससे उन्हें मोटिवेशन मिलता था। वह अपनी सफलता का श्रेय दादा बनवारी लाल, पिता सुबोध अग्रवाल, मां डॉ. साधना अग्रवाल और भाई राहुल अग्रवाल को देती हैं। उनके पिता और भाई सीए हैं। टीचर्स का भी उनकी सफलता में योगदान रहा।
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वरुणा को अपने दादा से मिली प्रेरणा...
वरुणा ने साल 2013 में जेसीज स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। विज्ञान वर्ग में 95.4 फीसद अंक प्राप्त किए और स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद वह कानून की पढ़ाई करने के लिए पुणे (महाराष्ट्र) चली गईं। 2018 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद ही वह यूपीएससी (UPSC) की तैयारी के लिए दिल्ली आ गईं। यहां आईएएस की एक साल कोचिंग की, फिर घर से ही तैयारी करने लगीं। तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की है। उन्हें अपने दादा बनवारी लाल से आईएएस (IAS) बनने की प्रेरणा मिली। तभी उन्होंने 10वीं कक्षा से ही सिविल सर्विस में जाने के बारे में सोच लिया था। उनके स्कूल में एक सीनियर छात्र का विदेश सेवा में चयन हुआ था। स्कूल में उनका संबोधन सुनने के बाद वरुणा का सिविल सर्विस की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ा। कानून की पढ़ाई के बाद यह भावना और ज्यादा मजबूत हुई। खासकर जब उन्होंने पढ़ाई के दौरान प्रशासन और देश की नीतियों के बारे में समझा।
सोशल मीडिया के बहुत किरदार
वरुणा कहती हैं कि सोशल मीडिया के बहुत किरदार हैं। आप दोस्तों से कनेक्ट हो सकते हैं। बहुत सी सूचनाएं प्राप्त होती हैं। पर इस माध्यम से आने वाली सूचनाओं को अपने अंदर ओवरलोड नहीं करना है। यदि सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह बहुत फायदेमंद है। आप बहुत से लोगों से जुड़ सकते हैं। जिनसे प्रेरणा मिलेगी, ज्ञान मिलेगा, देश विदेश की खबरें मिल सकती है। किसी भी चीज की अति गलत होती है।
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सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता...
वरुणा बताती हैं कि आईएएस बनकर बेहतर तरीके से देश की सेवा कर सकती हूं। हाईस्कूल में पढ़ाई के वक्त ही आईएएस बनने की ठान ली थी। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। कानून की पढ़ाई के वक्त सिस्टम काफी समझ में आया। 21 सितंबर को दिल्ली में साक्षात्कार हुआ था और शुक्रवार शाम रिजल्ट आउट हो गया। लक्ष्य रखकर रोजाना पढ़ाई करती थीं। यह कोई समय फिक्स नहीं था कि इतने घंटे पढ़ाई करनी है। उनका कहना था कि लक्ष्य भले ही कठिन होता है, यदि लगन और लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत की जाए तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है। शॉर्टकट का रास्ता नहीं चुनना चाहिए।