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UPSC 2020: 1 बार असफल, दूसरी बार सिर्फ 3 नंबर ने बिगाड़ा खेल, लेकिन 3rd अटेम्प में टॉपर बन गईं वरुणा अग्रवाल
करियर डेस्क. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इस कड़ी में 38वीं रैंक हासिल करने वाली वरुणा अग्रवाल (Varuna Agrawal) से बातचीत की। वरुणा ने शुरुआत से सक्सेज तक की संघर्ष से भरी कहानी सुनाई। कैसे उन्होंने तैयारी की और कैसे वे अंत तक मैदान में डटी रहीं। वरुणा उत्तराखंड (Uttrakhand) के रुद्रपुर (Rudrapur) की रहने वाली हैं। आइए जानते हैं उनसे UPSC को लेकर उन्होंने कैसे तैयारी की और बड़ी सफलता पाई...
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दो बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार, तीसरे प्रयास में 38वीं रैंक
यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) में वरुणा अग्रवाल (Varuna Agrawal) ने 38 वीं रैंक हासिल की है। उनका ये तीसरे प्रयास में आईएएस (IAS) बनने का सपना पूरा हुआ। इससे पहले उन्होंने दो बार प्रयास किए, लेकिन तब सफल नहीं हो सकीं। कभी-कभी उन्हें यह राह कठिन लगती थी। खासकर जब पहले प्रयास में वह प्रारम्भिक परीक्षा से आगे नहीं बढ़ सकीं। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में उन्होंने इंटरव्यू (UPSC Interview) दिया, तो सिर्फ तीन अंकों की कमी की वजह से वह मेरिट लिस्ट में जगह नहीं पा सकी। ऐसे समय में परिवारजनों और दोस्तों ने उनका हौसला बढ़ाया।
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परीक्षा को पास फेल के रूप में न देखें
वरुणा कहती हैं कि परीक्षा को पास और फेल के रूप में न देखें, बल्कि लर्निंग के रूप में देखें। सीखने से आपको खुशी मिलती है। फिर चाहे आप परीक्षा में फेल हो जाओ या नंबर कम आएं। आपकी संतुष्टि बनी रहती है कि आपने कुछ सीखा है। जब उनके नंबर कम आते थे तो वह यही सोचती थी कि कुछ सीखने को मिला। कल से बेहतर आज मेरे पास जानकारी है। इससे उन्हें मोटिवेशन मिलता था। वह अपनी सफलता का श्रेय दादा बनवारी लाल, पिता सुबोध अग्रवाल, मां डॉ. साधना अग्रवाल और भाई राहुल अग्रवाल को देती हैं। उनके पिता और भाई सीए हैं। टीचर्स का भी उनकी सफलता में योगदान रहा।
कहां से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा?
वरुणा ने साल 2013 में जेसीज स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। विज्ञान वर्ग में 95.4 फीसद अंक प्राप्त किए और स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद वह कानून की पढ़ाई करने के लिए पुणे (महाराष्ट्र) चली गईं। 2018 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद ही वह यूपीएससी (UPSC) की तैयारी के लिए दिल्ली आ गईं। यहां आईएएस की एक साल कोचिंग की, फिर घर से ही तैयारी करने लगीं। तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की है। उन्हें अपने दादा बनवारी लाल से आईएएस (IAS) बनने की प्रेरणा मिली। तभी उन्होंने 10वीं कक्षा से ही सिविल सर्विस में जाने के बारे में सोच लिया था। उनके स्कूल में एक सीनियर छात्र का विदेश सेवा में चयन हुआ था। स्कूल में उनका संबोधन सुनने के बाद वरुणा का सिविल सर्विस की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ा। कानून की पढ़ाई के बाद यह भावना और ज्यादा मजबूत हुई। खासकर जब उन्होंने पढ़ाई के दौरान प्रशासन और देश की नीतियों के बारे में समझा।
जीवन या परीक्षा को सीखने के रूप में देखें
कभी जिंदगी में हार न मानें, आपने खुद के लिए जो भी लक्ष्य तय किया हो। यह किसी भी क्षेत्र का हो सकता है। उस लक्ष्य के प्रति काम करते रहें। कदम के आगे कदम रखते रहें। लक्ष्य प्राप्त करने में समय लग सकता है, रुकावटें आ सकती हैं। पर जब आप ने प्रयास करना छोड़ दिया तो उसी वक्त आपने असफलता का चुनाव कर लिया। प्रयास करते रहें। जीवन में तनाव नहीं लेना चाहिए। आजकल छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को तनाव हो जाता है। जीवन एक लर्निंग है। हर चीज को जीत और हार के रूप में न देखें। अगर हम सीखने के रूप में जिंदगी को देखें या किसी परीक्षा को देखें तो जीवन आसान हो जाएगा।
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सोशल मीडिया के बहुत किरदार
वरुणा कहती हैं कि सोशल मीडिया के बहुत किरदार हैं। आप दोस्तों से कनेक्ट हो सकते हैं। बहुत सी सूचनाएं प्राप्त होती हैं। पर इस माध्यम से आने वाली सूचनाओं को अपने अंदर ओवरलोड नहीं करना है। यदि सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह बहुत फायदेमंद है। आप बहुत से लोगों से जुड़ सकते हैं। जिनसे प्रेरणा मिलेगी, ज्ञान मिलेगा, देश विदेश की खबरें मिल सकती है। किसी भी चीज की अति गलत होती है।
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सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता...
वरुणा बताती हैं कि आईएएस बनकर बेहतर तरीके से देश की सेवा कर सकती हूं। हाईस्कूल में पढ़ाई के वक्त ही आईएएस बनने की ठान ली थी। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। कानून की पढ़ाई के वक्त सिस्टम काफी समझ में आया। 21 सितंबर को दिल्ली में साक्षात्कार हुआ था और शुक्रवार शाम रिजल्ट आउट हो गया। लक्ष्य रखकर रोजाना पढ़ाई करती थीं। यह कोई समय फिक्स नहीं था कि इतने घंटे पढ़ाई करनी है। उनका कहना था कि लक्ष्य भले ही कठिन होता है, यदि लगन और लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत की जाए तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है। शॉर्टकट का रास्ता नहीं चुनना चाहिए।