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अगर आपका बच्चा कम सोता है तो हो जाएं अलर्ट, रिसर्च में बताया गया क्या-क्या दिक्कत हो सकती है
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मैकगिल यूनिवर्सिटी की एक नए रिसर्च के मुताबिक, कोविड में कम नींद की वजह से लोगों में मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। वहीं जिन लोगों ने भरपूर नींद ली, उन्हें दूसरी बीमारियों से बचने में फायदा मिला है। दरअसल, लॉकडाउन में सभी को रोजाना के कामों में बदलाव हुआ। इससे युवाओं के सोने और जागने का समय भी बदल गया। इसी वजह से नींद में भी खलल पड़ा।
मैकगिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रयूट ग्रुबर ने कहा, कोरोना में स्कूल को लेकर भी फ्लैक्सिबिलिटी थी। टाइम की भी ज्यादा दिक्कत नहीं थी। स्कूलों ने भी बच्चों के मेंटर हेल्थ को सही रखने पर काम किया।
महामारी के दौरान बच्चों के जागने और सोने का समय बदल गया। कई बच्चें देर तक सोते थे तो कुछ को नींद ही नहीं आती थी। रिसर्चर्स ने बताया कि मॉर्निंग वॉक का कम होना, देर से शुरू होने वाले स्कूल..ये ऐसी एक्टिविटी थी, जो कोविड में लगभग बंद हो गईं। इन वजहों से बच्चों के नींद भी डिस्टर्ब हुई।
COVID-19 के दौरान दुनिया भर के कई देशों में इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए हैं। रिसर्च में पाया गया कि कोविड से पहले सोने वाले बच्चों और महामारी के दौरान सोने वाले बच्चों में मानसिक तनाव को लेकर खास संबंध था।
ग्रुबर ने कहा, कम नींद लेने वालों में ज्यादा तनाव और ज्यादा नींद लेने वालों में कम तनाव दिखा। हेरिटेज रीजनल हाई स्कूल की प्रिंसिपल सुजाता साहा ने कहा, कोविड-19 महामारी से पहले से ही बच्चों में पर्याप्त नींद नहीं लेने की एक वैश्विक चिंता थी। अब यह पहले से कहीं अधिक चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, समय रहते इस समस्या से निपटना होगा। उन्होंने कहा, दुनिया भर में नींद की कमी ने मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है। एक अनुमान के मुताबिक, ये बढ़ी हुई समस्या महामारी के बाद भी जारी रहेगी।
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