- Home
- Career
- Education
- यूपी में सरकार 8500 गैर रजिस्टर्ड मदरसों को देने जा रही मान्यता, 10 फोटो समझिए क्या है मामला
यूपी में सरकार 8500 गैर रजिस्टर्ड मदरसों को देने जा रही मान्यता, 10 फोटो समझिए क्या है मामला
- FB
- TW
- Linkdin
इफ्तेखार अहमद जावेद ने कहा कि मान्यता मिलने से मदरसों के साथ-साथ छात्रों को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें मदरसा बोर्ड की डिग्री मिलेगी। इस डिग्री को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में शिक्षक संघ मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब जमान खान नने कहा कि 2017 में मदरसा शिक्षा बोर्ड को भंग कर दिया गया था। तब से समिति ने काम किया है। मदरसों का मान्यता देने का का काम लंबे समय से रूका है।
खान ने बताया कि इसी वजह से नए मदरसों को मान्यता देने का काम रूका था। अगर बोर्ड इस प्रक्रिया को फिर से शुरू कर रहा है, तो यह अच्छी बात है। बहरहाल, मदरसा सर्वे रिपोर्ट को देखते हुए राज्य सरकार और क्या कदम उठाएगी इस पर चर्चा के लिए जल्द बैठक हो सकती है।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि डिटेल फील्ड वर्क के बाद जिलों द्वारा जिलाधिकारियों के माध्यम से सरकार को यह रिपोर्ट सौंपी गई है। अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि मदरसों के सर्वेक्षण के बाद सरकार क्या कदम उठाएगी, इस पर चर्चा के लिए विभाग की बैठक दिसंबर के अंत तक होगी।
उन्होंने कहा कि जो भी फैसला लिया जाएगा, वह मदरसों के हित में होगा। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 सितंबर से 15 नवंबर तक निजी मदरसों में छात्रों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं, उन्हें पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, मदरसों की आय के स्रोत सहित अन्य जानकारी हासिल करने के लिए एक सर्वे कराया गया था।
इस सर्वे में सामने आया कि उत्तर प्रदेश में बिना मान्यता के 8,500 मदरसे चलाए जा रहे हैं। मदरसों के बजट आवंटन पर बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि सर्वे में शामिल सभी प्रतिष्ठानों ने जकात यानी धर्मार्थ और धार्मिक उद्देश्यों के लिए इस्लामी कानूनों के तहत किया गया भुगतान और दान को अपनी आय का स्रोत घोषित किया है।
मदरसों में बुनियादी सुविधाओं और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में ज्यादातर मदरसों में व्यवस्था ठीक मिली है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि मदरसों का सर्वे सिर्फ जानकारी जुटाने के लिए किया गया था।
उन्होंने कहा कि सर्वे का मकसद वहां मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जानना और जरूरत पड़ने पर सुधार करना था। सर्वेक्षण के बाद आए रिपोर्टों का विश्लेषण अब किया जा रहा है। वहीं, सूत्रों की मानें तो मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पात्रता परीक्षा यानी एग्जाम क्राइटेरिया को जरूरी बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।
हालांकि, अंसारी का यह भी कहना है कि मदरसों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) का कोई प्रस्ताव फिलहाल तैयार नहीं किया जा रहा है। इसी तरह, मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को पढ़ाने की जरूरत को देखते हुए, इन संस्थानों में शिक्षक भर्ती के लिए बुनियादी स्कूलों की तरह ही योग्यता प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही है।
नए सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसे चल रहे हैं। उनमें केवल 560 को ही सरकार से अनुदान मिलता है। सरकार का कहना है कि सर्वेक्षण इसलिए कराया गया, जिससे मदरसे कंप्यूटर और विज्ञान के ज्ञान को शामिल करके अपने पाठ्यक्रम को व्यापक बना सकें।