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बंदूकों के साए में गुजरी जिंदगी पर कभी नहीं हारी हिम्मत, ये हैं कश्मीर की पहली मुस्लिम IPS

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में हालात किसी से छिपे नहीं है। यहां आम लोगों की जिंदगी बदहाल हैं, कभी भी कर्फ्यू लग जाता है और अधिकतर क्षेत्रों में आर्मी के जवान तैनात रहते हैं। इंटरनेट डाउन होने की समस्या यहां आम है। समाज भी काफी हद तक रूढ़िवादी है ऐसे में महिला की शिक्षा पर इसका खास असर पड़ता है। पर मुश्किलों को पार कर और समाज के ढकोसलों को मुंह चिढ़ा महिलाएं इतिहास रच देती हैं। ऐसी ही एक लड़की है रूवैदा सलाम जिन्हें जम्मू कश्मीर की पहली महिला IPS अफसर का गौरव हासिल है। रूवैदा सलाम का बचपन बंदूकों के साये में गुजरा है लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत कर पढ़ाई की और IPS बनकर दिखाया। इस महिला दिवस 2020 पर हम आपको कश्मीर की लाखों लड़कियों की प्रेरणा रूवैदा के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : Mar 04 2020, 12:44 PM IST| Updated : Mar 04 2020, 01:02 PM IST
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जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा की रहने वाली रुवैदा के पिता सलामुद्दीन बजद दूरदर्शन केंद्र के उपनिदेशक रह चुके हैं , वो अभी इस पद से सेवानिवृत्त हो चुके है। उनकी मां एक टीचर हैं और स्कूल की हेडमास्टर हैं। रूवैदा को एक अच्छा पारिवारिक माहौल मिला है।
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उनके पिता ने उनपर हमेशा भरोसा किया और आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया। उनके पिता हमेशा पढ़ने, आगे बढ़ने और सिविल सर्विस में जाने को उन्हें कहते थे। इस बात को रूवैदा ने गंभीरता से लिया। पिता को सपोर्ट उनको मिला तो उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की।
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रुवैदा सलाम वो पहली लड़की है जिन्होंने 27 साल की उम्र में ही पहले MBBS कर लिया था। वो साल 2004 में डॉक्टर बन गईं और लोगों का इलाज करके सेवा करने लगीं। रुवैदा ने 2009 में ही अपनी मेडिकल की पढाई शुरू की, उन्होंने श्रीनगर के सरकारी कॉलेज से मेडिकल की पढाई पूरी की। रुवैदा ने जब MBBS की परीक्षा पास की तभी उनके घरवालों की तरफ से उनपर शादी के लिए दबाव आने लगे। रिश्तेदारों ने उन्हें काफी ताने मारे कि लड़की को इतना मत पढ़ाओं, शादी कर दो।
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इन सब के बावजूद उन्हें पिता को सपोर्ट मिला और उन्होंने एक आम लड़की की तरह शादी कर घर बसाने के बजाय लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए आवेदन किया। उन्होंने बताया कि आतंकी गतिविधियों से बचाव के लिए वो जम्मू के कुपवाड़ा से श्रीनगर रहने आये थे। रुवैदा पढ़ाई के दौरान कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा। रुवेदा कहती हैं कि "राजनीति के चलते कश्मीर करीब 20 साल पिछड़ गया है।"
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उन्होंने मीडिया को बताया कि, "कश्मीर में रहने के दौरान पढ़ाई काफी प्रभावित हुई। दूसरे राज्यों में लोगों को जो चीजें बहुत आसानी से मिल जाती हैं, कश्मीर में रहते हुए हमें उन्हीं चीज के लिए तरसना पड़ता है।""मेरी पूरी पढ़ाई मिलिटेंसी के दौरान हुई। कभी हड़ताल, कभी बिजली कटौती, कभी इंटरनेट नहीं, कभी बर्फ, ऐसे में पढ़ाई जारी रखना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होती थी।"
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कुपवाड़ा में आतंकी माहौल रहता था। मेरा बचपन खून-खराबे से भरा था। "90 के दशक में तो हालात इतने खराब थे कि एक साल तक मेरा स्कूल बंद रहा।" "दूसरे राज्यों में लोगों को जहां मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने में साढ़े चार साल लगते हैं वहीं मुझे कश्मीर में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने में छह साल का समय लगा।"
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पर कश्मीर में समस्याएं चाहे जितनी भी गंभीर क्यों ना हों वहां कि लड़कियां आगे बढ़कर पढ़-लिख रही हैं और मुकाम हासिल कर रही हैं। ऐसे ही साल 2009 में रूवैदा ने कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (KAS) की परीक्षा पास की।
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इसके बाद साल 2013 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास करके इतिहास रच दिया। इसमें 398 पोस्ट के होने पर उन्होंने 25 वी रैंक हासिल की थी। रूवैदा ने पुलिस में जाना चुना और इस तरह वो कश्मीर की पहली महिला है जिन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की है। साथ ही पहली IPS अफसर भी हैं।
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रुवैदा फिलहाल तमिलनाडु में तैनात हैं। उनके काम के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। लॉ एंड ऑर्डर को बिगड़ने नहीं देना ही उनकी प्राथमिकता है। उनकी प्रयासों और सफलताओ ने कई युवाओ को प्रेरणा दी है।
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लेकिन ये सफलताएं उनके लिए पहली और आखिरी नहीं है, बल्कि वो अपने बुलंद हौसलों पर आज भी खड़ी हैं। रूवैदा कश्मीर में लड़कियों को सिविल सर्विस के लिए मोटिवेट करती हैं।

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