- Home
- Entertianment
- Other Entertainment News
- आखिर कौन है वो शख्स जिसकी जिंदगी से इंस्पायर है Amitabh Bachchan की झुंड, जानें उसके बारे में सबकुछ
आखिर कौन है वो शख्स जिसकी जिंदगी से इंस्पायर है Amitabh Bachchan की झुंड, जानें उसके बारे में सबकुछ
- FB
- TW
- Linkdin
विजय बरसे ने बताया था- जब उन बच्चों को उन्होंने फुटबॉल खेलने के लिए बुलाया तो उस समय सभी बच्चे एक असहज स्थिति में थे, उन्होंने मट-मैले कपड़े पहने हुए थे। उसके बाद विजय ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ एक टूर्नामेंट आयोजित करने की प्लानिंग की, जिसमें सिर्फ झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चे ही भाग ले सकते थे।
2001 में उन्होंने स्मल सॉकर की स्थापना की और नागपुर में एक टूर्नामेंट आयोजित किया। इस टूर्नामेंट में 128 टीमों ने भाग लिया था। इसका बाद उन्होंने इन बच्चों को एक खेल मैदान दिया और महसूस किया कि जब तक ये बच्चे मैदान में है तब तक वे दुनिया की बुराइयों से दूर रहेंगे।
आमिर खान से शो में उन्होंने बताया था- मैंने सोचा कि ये बच्चे राष्ट्र के भविष्य निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं। एक टीचर के तौर पर वे और क्या दे सकते थे। इस तरह उन्होंने 2002 में एक झोपड़पट्टी फुटबॉल की जर्नी की शुरुआत की।
उनकी बनाई झोपड़पट्टी फुटबॉल की जर्नी बाद में स्लम सॉकर के नाम से फेमस हुई। उनके कॉलेज के एक साथी ने पूछा कि उन्होंने इस टीम का नाम झोपड़पट्टी फुटबॉल क्यों रखा। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था- मैं जानता था कि सभी खिलाड़ी झोपड़दपट्टी के रहने वाले हैं और मुझे केवल उनके लिए काम करना है इसलिए मुझे इस नाम को जारी रखना चाहिए।
धीरे-धीरे ये फुटबॉल टीम आगे बढ़ने लगी। शहर और जिला स्तर पर खेलने लगी। 2003 में विजय बरसे लाइमलाइट में आए। उनके काम को बड़े लेवल पर देखा जाने लगा। स्लम सॉकर लीग राष्ट्रीय स्टर पर पहचानी जाने लगी। कई कोच और बच्चे इससे जुड़ना चाहते थे।
आपको बता दें कि शुरुआती दिनों में विजय बरसे के पास कोई प्रायोजक नहीं था, जो प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए फंड दे सके। जब अमेरिका में रहने वाले उनके बेटे ने एक अमेरिकी अखबार में पिता के बारे में एक लेख पढ़ा तो वो अपने पिता की मदद के लिए देश लौट आया।
2007 में विजय बरसे ने एक इंटरव्यू में बताया था- स्लम सॉकर का राष्ट्रीय टूर्नामेंट बड़े लेवल पर कवर किया गया था। फिर होमलेस वर्ल्डकप के डायरेक्टर एंडी हुक ने उन्हें केप टाउन बुलाया था। यहां वे नेल्सन मंडेला से मिले थे। उन्होंने बताया था- मुझे उस दिन मेरे काम के लिए सबसे बड़ी पहचान मिली, जब उन्होंने मुझ पर हाथ रखा और कहा- मेरे बेटे, तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो।
2018 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- मैं एक खेल शिक्षक हूं। लेकिन मैं फुटबॉल के विकास को बढ़ावा नहीं दे रहा हूं। मैं फुटबॉल के जरिए विकास को बढ़ावा दे रहा हूं। 2012 में उन्हें सचिन तेंदुलकर के द्वारा रियल हीरो पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
ये भी पढ़ें
Jhund Review: फुटबाल के साथ दिखाया जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा, एक बार फिर छा गए Amitabh Bachchan
बेहद बोल्ड और ग्लैमरस है Anil Kapoor की भतीजी, Karan Johar की इस फिल्म से करने जा रही डेब्यू