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रेखा के साथ अपने पापा के रिश्तों पर पहली बार बोली 70 के दशक के इस एक्टर की बेटी, किए कई खुलासे
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इंटरव्यू के दौरान सोनिया से पूछा गया कि उन्हें अपने पापा विनोद मेहरा की कौन सी फिल्म पसंद है? ऐसी कौन सी फिल्म है जो सोनिया चाहती हैं कि दोबारा बने और उन्हें हीरोइन का रोल मिले? इस पर सोनिया ने कहा कि उन्हें अपने पापा की दो फिल्म 'घर' और 'द बर्निंग ट्रेन' काफी पसंद हैं। उन्हें 'घर' फिल्म अच्छी लगती है।
इंटरव्यू के दौरान सोनिया ने ये भी बताया कि वो रेखा से कई बार मिल चुकी हैं। उन्होंने कहा- हां मैं रेखा जी से 3- 4 बार मिली हूं। हम कार्यक्रमों में मिलते रहते थे। वो बहुत ही अच्छी और दिलचस्प लेडी हैं।
सोनिया ने जब दोनों के रिलेशन को लेकर बात की तो उन्होंने कहा-मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहती हूं क्योंकि मुझे ये सब नहीं पता। ये तबकी बात है जब मैं पैदा भी नहीं हुई थी। इसके अलावा मुझे उनके जीवन पर कोई कमेंट करने का अधिकार नहीं है। जहां तक मेरी बात है मुझे लगता है कि दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।
सोनिया ने ये भी बताया कि इस बारे में उन्होंने अपनी मां से भी कभी कोई बात नहीं की। उनका मानना है कि हर किसी का अपना अतीत होता है और अगर उनकी मां को ऐसा लगता कि उन्हें कुछ बताना चाहिए तो वो जरूर बतातीं। बता दें कि पापा विनोद मेहरा के निधन के वक्त सोनिया महज डेढ़ साल की थीं। उन्हें अपने पिता के साथ वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाया था।
बात विनोद मेहरा और रेखा के रिश्ते की करें तो यासिर उस्मान की लिखी किताब रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी में ये कहा गया था कि दोनों ने शादी कर ली थी। साथ ही विनोद मेहरा की मां और रेखा की पहली मुलाकात भी अच्छी नहीं रही थी।
हालांकि, रेखा ने सिमी ग्रेवाल के शो में इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने विनोद मेहरा से कभी शादी नहीं की थी। ये बात और है कि दोनों के अफेयर के चर्चे बी-टाउन की सुर्खियां रहे थे।
बता दें कि विनोद मेहरा की पहली पत्नी मीना ब्रोका थी। शादीशुदा होने के बावजूद उनका दिल बिंदिया गोस्वामी पर आ गया और दोनों ने शादी कर ली। दोनों का रिश्ता 4 साल तक ही चल पाया और फिर कपल अलग हो गया। इसके बाद विनोद ने किरण नाम की महिला से शादी की थी, जो अंत तक उनके साथ रही। बता दें कि विनोद मेहरा का निधन 30 अक्टूबर, 1990 को हुआ था।
उन्होंने लाल पत्थर (1972), अनुराग (1972), सबसे बड़ा रुपैया (1976), नागिन (1976), अनुरोध (1977), साजन बिना सुहागन (1978), घर (1978), दादा (1979), कर्तव्य (1979), अमर दीप (1979), जानी दुश्र्मन (1979), बिन फेरे हम तेरे (1979), द बर्निंग ट्रेन (1980), टक्कर (1980), ज्योति बने ज्वाला (1980), ज्वालामुखी (1980), साजन की सहेली (1981), बेमिसाल (1982), स्वीकार किया मैंने (1983) लॉकेट (1986, प्यार की जीत (1987) जैसी कई फिल्मों में काम किया था।