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कोरोना मरीज बताकर निकाल लिए शख्स के अंग? जानें मानव अंगों की तस्करी की वायरल खबर का सच?

फैक्ट चेक डेस्क.  सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही सनसनीखेज दावा किया जा रहा है। एक वायरल पोस्ट में कहा जा रहा है कि मुंबई में एक व्यक्ति को जबरदस्ती अस्पताल में भर्ती करके कोरोना पॉजिटिव बताया गया, बाद में उसकी मौत हो गई तो परिवार वालों को पता चला कि मृत शरीर के कई अंग गायब हैं। इस दावे के साथ फेसबुक मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार की तस्वीरें भी साझा की गई हैं।  फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि  क्या कोरोना महामारी की आड़ में मुंबई के कुछ अस्पतालों में मानव अंगों की तस्करी का गोरखधंधा चल रहा है?

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Asianet News Hindi
Published : Jul 24 2020, 11:54 AM IST| Updated : Jul 24 2020, 11:58 AM IST
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कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच कई तरह की अफवाहें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है। ऐसी ही एक अफवाह वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके अंगों की तस्करी से जुड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई मौत के बाद परिजनों की जिद पर जब एक मरीज के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया, तो उसके सारे अंग गायब मिले।

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, ”ये तो होना ही था, इतने सालों से जो डाक्टरों का धंधा छिप कर चल रहा था। वह अब लाइसेंस के समान उनके पेशे के मौलिक अधिकार से जुड गया है, ना ही मरीजों के परिवार को मरीजों की लाश सौंपी जा सकती है और ना ही दिखाई ही जा सकती है, तो कौन है माई बाप जो कोरोना महामारी में इसका संज्ञान ले? अगर ये सच हे तो चिकित्सा जगत के लीये ईसे बडी शर्मसार करनेवाली कोई घटना नही हो। यह दावा फेसबुक से लेकर ट्विटर तक हर जगह छाया हुआ है। एक फेसबुक यूजर ने 20 जुलाई को ये पोस्ट डाली है जिसे खबर लिखे जाने तक तकरीबन 12 हजार लोग शेयर कर चुके हैं।

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क्या दावा किया जा रहा है? '

 

दावा है कि मामूली खांसी जुकाम या बुखार को मरीज को कोरोना मरीज बताकर उसके अंग निकाल लिए जा रहे हैं। यही खबर को सच मान *दिल्ली क्राइम प्रेस।” ने खबर छाप दी। उन्होंने लिखा क्या- डाक्टर जिन्हे भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है वो ऐसी राक्षसों जैसी हरकत पर उतर सकते हैं। इसकी पूरी CBI जाँच करवाई जाएँ और पता लगाया जाए की ऐसे तरीकों से लोगो का मर्डर करके इस कोरोना काल मे जो मानव अंग की तस्करी कि जा रही है,ऐसे जघन्य अपराधी राक्षस दरिंदो को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। 

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फैक्ट चेक 

 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये दावा गलत है। यह खबर जिस संवाददाता के हवाले से शेयर की जा रही है, उसने खुद स्वीकार किया है कि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। वायरल पोस्ट की कई ऐसी बातें हैं जो संदेह पैदा करती हैं। हमने पाया कि सोशल मीडिया में सभी जगह ‘दिल्ली क्राइम प्रेस’ वेबसाइट की खबर को ही हूबहू शेयर किया गया है। इसमें न तो किसी अस्पताल का नाम है, न ही किसी मरीज का।

 

बात भी हैरान करने वाली है कि इस तरह की कोई खबर मुंबई के किसी अखबार या वेबसाइट में नहीं छपी और दिल्ली की एक वेबसाइट ‘दिल्ली क्राइम प्रेस’ में आ गई। 

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मामले की हकीकत जानने के लिए हमने ‘दिल्ली क्राइम प्रेस’ के संवाददाता ओम शुक्ला से बात की। उन्होंने माना कि यह खबर पूरी तरह से गलत है। उन्होंने बताया कि इस खबर में इस्तेमाल हुई तस्वीरें लखनऊ की हैं। उन्होंने व्हाट्सऐप पर मिली एक जानकारी के आधार पर ही यह खबर अपनी वेबसाइट पर चला दी थी।

 

वे कहते हैं, “मुझसे गलती यह हुई कि मैंने इस खबर को वेबसाइट पर चलाने से पहले इसकी पुष्टि नहीं की। जब मैंने इसे अपनी वेबसाइट पर चला दिया, तो इस पर अच्छे व्यूज आने लगे। ऐसा पहली और आखिरी बार हुआ है। मैं इस खबर को वेबसाइट से हटा दूंगा।”

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हमें ‘नवभारत टाइम्स’ की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया है कि हाल ही में उत्तरी मुंबई के गोराई इलाके में मानव अंगों की तस्करी की अफवाह फैली थी। 16 जुलाई को प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, गोराई के मनोरी गांव में अफवाह फैली थी कि जिन लोगों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है, उनकी रिपोर्ट को भी पॉजिटिव बताया जा रहा है। फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर जबरन उनका लिवर, किडनी आदि निकाल लिया जा रहा है।

 

लोग इस अफवाह से इतने आतंकित हो गए थे कि उन्होंने बीएमसी के स्वास्थ्यकर्मियों को ही मानव अंग तस्कर समझ कर उन पर हमला कर दिया था। गोराई पुलिस ने बमुश्किल लोगों को समझा-बुझाकर स्थिति को नियंत्रित किया था।

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कुल मिलाकर यह बात साफ है कि सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही यह खबर गलत है। महाराष्ट्र के गोराई में कोराना के बहाने मानव अंगों की तस्करी की कोई घटना सामने नहीं आई है।

 

ये स्टोरी छपने के बाद लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा वर्मा ने ‘दिल्ली क्राइम प्रेस’ वेबसाइट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। वर्षा एक एनजीओ चलाती हैं, जो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करता है. वायरल पोस्ट में जो तस्वीरें शेयर की जा रही थीं, वे उन्हीं के फेसबुक पेज से ली गई थीं। तस्वीरों में जो लाश दिख रही है, वह एक महिला की थी, जिसकी बीमारी के चलते लखनऊ के एक सरकारी अस्पताल में मौत हो गई थी। चूंकि वह महिला बेसहारा थी, इसलिए वर्षा वर्मा और उनकी संस्था के सहयोगी सदस्यों ने उसका अंतिम संस्कार किया था। 

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ये निकला नतीजा 

 

'सोशल मीडिया पर मानव अंगों की तस्करी का दावा गलत निकला। जिस न्यूज रिपोर्ट के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि वह पूरी तरह से काल्पनिक और मनगढ़ंत रिपोर्ट है, जिसे अफवाह के तौर पर फैलाया जा रहा है। 
 

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