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कब्रिस्तान में लगा है क्यूआर कोड, स्कैन करने पर मिलेगी मृतक की पूरी जानकारी..जानें क्या है सच?

नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर कई फोटो और वीडियो वायरल होते हैं। इनमें कुछ सही होते हैं तो कुछ फेक। इनदिनों ऐसी ही एक फेक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जापान की कब्रों के पास एक क्यूआर कोड लगा होता है, जिसे स्कैन करने पर मृतक व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी ली जा सकती है। हालांकि ये तस्वीर पूरी तरह से फेक है। इस तस्वीर के गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। लोग इन तस्वीरों के जरिए खुद की भावनाएं लिखकर रीपोस्ट कर रहे हैं। ऐसे में Asianet News ने इस वायरल तस्वीर की पड़ताल की और सच सामने रखा। क्या है इस वायरल तस्वीर का सच...? 

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Asianet News Hindi
Published : Sep 19 2021, 03:14 PM IST| Updated : Sep 20 2021, 09:42 AM IST
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वायरल तस्वीर में क्या है?
क्यूआर कोड स्कैन करती एक महिला की तस्वीर इस दावे के साथ वायरल हुई है कि जापान में क्यूआर कोड वाली कब्रें हैं, जिन्हें स्कैन करके मृतक के जीवन के बारे में जानकारी ली जा सकती है।

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वायरल तस्वीर का पता लगाने के लिए हमने गूगल के रिवर्स इमेज टूल की मदद ली। इसके बाद हमें कई लिंक मिले। कई चीनी न्यूज वेबसाइट्स ने साल 2015 में इस तस्वीर और इससे जुड़ी खबर को पब्लिश किया था।

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इन आर्टिकल्स के मुताबिक, चीन ने 2015 में चोंगकिंग में फॉरेनर्स स्ट्रीट नामक थीम पार्क में द्वितीय विश्व युद्ध के पीड़ितों के लिए एक स्मारक बनवाया था। पार्क में आने वाले लोग क्यूआर कोड को स्कैन करके पीड़ितों को सम्मान दे सकते हैं।

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नानजिंग नरसंहार 1937 में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले हुआ था, जिसमें चीन-जापानी के बीच युद्ध हुआ। चीन पर कब्जा करने के बाद जापानी शाही सेना के सैनिकों ने चीनी नागरिकों की सामूहिक हत्या की। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नरसंहार में मारे गए चीनीयों की संख्या 300000 के करीब है।

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निष्कर्ष
एशियानेट न्यूज ने वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पाया कि ये तस्वीर जापान की नहीं बल्कि दक्षिण पश्चिम चीन की है। साल 2015 में एक थीम पार्क में ली गई थी। वहीं तस्वीर में दिख रहा ग्रेवस्टोन असली नहीं है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में जापानी सैनिकों द्वारा की गई बमबारी के पीड़ितों की याद में ये पार्क बनाया गया है। यहां क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं।

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