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क्या आनन-फानन में कांफ्रेंस हॉल को बना दिया गया आर्मी अस्पताल? वायरल हुई PM के दौरे की तस्वीरें, जानें सच
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बीते कुछ दिनों में ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर माहौल गर्माए हुए हैं। लोग घायल सैनिकों और अस्पताल की हालत पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। ट्रोलर्स इन तस्वीरों पर मीम्स भी शेयर कर रहे हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
कांग्रेस के नेशनल मीडिया पेनलिस्ट अभिषेक दत्त ने ट्वीट करते हुए लिखा, “पर यह हॉस्पिटल लग कहा से रहा हैं – ना कोई ड्रिप , डॉक्टर के जगह फोटोग्राफर ,बेड के साथ कोई दवाई नहीं , पानी की बोतल नहीं ?”
क्या दावा किया जा रहा है?
फेसबुक, ट्विटर पर सैकड़ों की तादाद में यूज़र्स ऐसे ट्वीट्स कई सौ रीट्वीट्स और पोस्ट कर रहे हैं। इसके साथ मुन्नाभाई MBBS फिल्म का एक सीन भी शेयर किया जा रहा है जिसमें तुरंत फर्जी अस्पताल बनाकर तैयार कर दिया जाता है। लोगों का दावा है कि पीएम के दौरे को देख कांफ्रेंस हॉल को अस्पताल बनाकर झूठ-मूठ के मरीज बनाकर बैठा दिए गए।
फ़ैक्ट-चेक
अब बात आती है कि क्या वाकई ये अस्पताल तुरंत तैयार किया गया था? तो हम आपको बता दें कि अपनी पूर्वी लद्दाख की 2 दिवसीय विज़िट के दौरान 23 जून को इसी वॉर्ड में सैनिकों से मिलने आर्मी के चीफ़ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे पहुंचे थे। आर्मी के चीफ़ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे के विज़िट का वीडियो पोस्ट किया गया है। इस वीडियो में वहीं रूम मौजूद है जिसमें पीएम घायल सैनिकों से मिले थे।
मोदी और नरवाणे की विज़िट के दौरान आई तस्वीरों को देखते हुए मालूम चलता है कि इन तस्वीरों में एक ही वॉर्ड दिख रहा है। प्रोजेक्टर और स्टेज एरिया जो कि मोदी की तस्वीर में दिख रहा है, जून में आये जनरल नरवाणे के इस वीडियो में भी देखा जा सकता है।
जून में ली गयी तस्वीरों से इस कदर समानता के चलते ये दावा नहीं किया जा सकता है कि ये वॉर्ड नरेंद्र मोदी की विज़िट के लिए खासकर तैयार किया गया था।
सच क्या है?
4 जुलाई की प्रेस रिलीज़ में भारतीय आर्मी ने साफ़ किया, “जिस जगह के बारे में बात की जा रही है, वो 100 बेड की एक यूनिट है जो कि क्राइसिस के समय बनायी गयी थी और ये जनरल अस्पताल का ही एक हिस्सा है। Covid-19 के चलते जनरल अस्पताल के कुछ वॉर्ड्स को आइसोलेशन वॉर्ड में बदलना पड़ा था। इसलिए जिस हॉल का अमूमन ट्रेनिंग ऑडियो वीडियो हॉल की तरह से इस्तेमाल होता था, उसे एक वॉर्ड में तब्दील कर दिया गया क्यूंकि इस अस्पताल में भी कोरोना के मरीज़ आये हुए थे।
चोटिल जवानों को गलवान से आने पर शुरू से ही वहीं पर रखा गया है जिससे वो Covid-19 के प्रभाव से दूर ही रहें। चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल एम एम नरावणे और आर्मी कमांडर ने भी यहीं पर घायल सैनिकों से मुलाक़ात की थी।”
कई लोगों ने ये दावा किया कि इस तस्वीर में दिख रहे पेशेंट्स ‘असली’ नहीं हैं क्यूंकि वो चोटिल नहीं दिख रहे हैं और एकदम सीधे बैठे हुए हैं। जवाब में मेजर नवदीप ने कहा, “ये सैनिक यहां किसी बड़ी चोट के चलते नहीं हैं बल्कि वो यहां स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं और साथ ही उनकी डिब्रीफ़िंग चल रही है जो कि एक स्टैण्डर्ड प्रॉसेस है।”
ये निकला नतीजा
फैक्ट चेक में जुटाए गए आंकड़ों और सेना के क्लैरिफिकेशन के बाद हम कह सकते हैं कि वायरल तस्वीरों वाला वॉर्ड आनन-फानन में तैयार किया गया फर्जी अस्पताल नहीं है। बल्कि कोविड के चलते कम घायल सैनिकों को यहां रखा गया था। ऐसे में कांग्रेस के कई सदस्य और मोदी का विरोध करने वाले लोगों के दावें फर्जी साबित होते हैं। इन तस्वीरों के साथ ये भ्रांति फैलाने वाले दावे किया जा रहे थे कि ये वॉर्ड कैमरों के लिए रचा गया एक नाटक था।