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FACT CHECK: भाड़े पर बुलाए गए थे मजदूर और फिक्स थी राहुल गांधी की मुलाकात? जानें सच क्या है?
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इसके बाद फेसबुक और वॉट्सएप पर दो तस्वीरें एक साथ वायरल होनी शुरू हो गईं। दावा किया गया कि प्रवासी मजदूरों से राहुल गांधी की मुलाकात प्रायोजित थी।
वायरल पोस्ट क्या है?
वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि इस महिला को “फोटो खिंचवाने” के लिए कार में लाया गया था। इसमें मजदूरों की तस्वीरों को गोले में मार्क करके सवाल उठाया जा रहा है। कई फेसबुक यूजर्स ने इन दोनों तस्वीरों को पोस्ट करते हुए तंज किया है, “यहां भी घोटाला? राहुल बाबा सुखदेव विहार में ग़रीबों से मिलने गए थे। ऐसी ही एक ग़रीब गाड़ी से वापस जाती हुई दिखाई दी, भगवान ऐसा ग़रीब सबको बनाए।”
क्या दावा किया जा रहा है?
इन तस्वीरों को फेसबुक पर शेयर करते हुए कुछ यूजर्स ने कुछ इस तरह व्यंग्य किया है, “अब लोग इसे भी मजदूर घोटाला कहेंगे...देखो भईया, देश में कोरोना चल रहा है..तो मजदूर भी सेनेटाइज करके अपने घर से अपनी गाड़ी में बैठाकर लाना पड़ता है? आपको पता है ना.. मजबूरी का नाम __गांधी है।”
इन दोनों तस्वीरों में से एक में दिख रहा है कि राहुल गांधी के सामने एक महिला हरी साड़ी और सफेद स्कॉर्फ पहने बैठी है और उन्हें सुन रही है। दूसरी तस्वीर में दिख रहा है कि वही महिला एक कार में एक आदमी के बगल में बैठी है। उस आदमी ने जैतूनी हरे रंग का शर्ट और काला मास्क पहना हुआ है।
सच क्या है?
तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है। प्रवासी मजदूरों के साथ राहुल गांधी की मुलाकात प्रायोजित या पूर्वनियोजित नहीं थी। प्रवासियों से मुलाकात के बाद उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से वाहनों की व्यवस्था करने को कहा ताकि प्रवासी अपने घर लौट सकें। राहुल गांधी के साथ बातचीत करते दिख रही महिला भी प्रवासियों के समूह में शामिल थी, इसलिए वह कार में बैठी दिख रही है क्योंकि उन लोगों के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई थी।
फैक्ट चेकिंग
जिस दिन राहल गांधी ने प्रवासियों से मुलाकात की थी, उसी दिन यानी 16 मई को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रवासियों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी की तीन तस्वीरें ट्वीट की थीं। इन तस्वीरों में से एक का क्लोजअप शॉट वायरल पोस्ट में इस्तेमाल किया गया है। कई अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी प्रवासियों के साथ राहुल गांधी की बातचीत की मिलती जुलती तस्वीरें ट्वीट कीं।
समाचार एजेंसी “एएनआई ” ने भी उसी समय इस मुलाकात की तस्वीरें ट्वीट की थीं, एएनआई ने तस्वीरों के साथ लिखा, राहुल गांधी ने सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास उन प्रवासी मजदूरों से बातचीत की, जो पैदल चलकर अपने गृह राज्यों की ओर लौट रहे थे। बाद में पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रवासियों को उनके घर ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की, मोनू नाम के एक मजदूर ने कहा कि “वह हरियाणा से आ रहा है और उसे झांसी जाना है।”
कुछ मजदूरों के बयान के हवाले से खबरों ने पुष्टि की कि गांधी और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रवासियों को उनके गृह घरों तक पहुंचाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की। हमें “इंडिया टीवी” और “R9 TV” समेत कई संस्थानों की न्यूज क्लिप भी मिलीं। इन न्यूज क्लिप में भी वह महिला मौजूद है जो वायरल पोस्ट में है। इन वीडियोज में वह महिला एक दूसरे आदमी के साथ कार में बैठी दिख रही है। इन खबरों के मुताबिक, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रवासी मजदूरों के इस समूह के लिए अलग वाहन की व्यवस्था की थी।
ये निकला नतीजा
इस तरह पुलिस, मीडिया रिपोर्ट और विभिन्न स्रोतों से मिली सूचनाओं के आधार पर हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि 16 मई को राहुल गांधी ने सुखदेव विहार में जिन प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की थी और जिसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं वो मुलाकात फिक्स नहीं थी। सोशल मीडिया पर हो रहे दावे फर्जी हैं।