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1 kg चावल से बनाएं 2 लीटर महंगी राइस बियर, 4 दिन सड़ाने के बाद झारखंडी यूं बनाते हैं हड़िया
फ़ूड डेस्क: भारत में हर राज्य के हर जिले में कुछ अलग, कुछ यूनिक खाने-पीने की चीज आपको मिल जाएगी। कई डिशेस लोकल तो फेमस होते हैं लेकिन बाहर वालों के लिए ये अनजान चीजें होती है। अब झारखंड में मिलने वाली हड़िया को ही ले लीजिये। झारखंड की ये लोकल बियर आपको महंगे रेस्त्रां में काफी महंगी मिलेगी। लेकिन झारखंड में ये बियर आपको काफी सस्ती मिल जाएगी। मात्र एक किलो चावल से आप दो लीटर हड़िया बना सकते हैं। इसे बनाना काफी आसान है। पहले के समय में इसे औषधि के तौर पर पिया जाता था। लेकिन अब इसे नशे के तौर पर कंज्यूम किया जा रहा है। लेकिन अगर हड़िया को सही तरीके से पिया जाए, तो ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। आइये आपको बताते हैं कैसे तैयार किया जाता है हड़िया...
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झारखंड का देसी पेय हड़िया काफी मशहूर है। झारखंड का ये मादक पेय आदिवासियों की संस्कृति का हिस्सा है। इसे चावल और रानू नाम के जंगली जड़ी से बनाया जाता है।
रानू को जंगली जड़ी चैली कंदा की जड़ से निकाला जाता है। इसके बाद इसे अरवा चावल में कूटकर मिलाया जाता है और उसकी गोलियां तैयार की जाती है।
सबसे पहले चावल को पका लें। करैनी धान के चावल से बना हड़िया सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। कई जगहों पर इसमें गेंहू और मड़ुआ मिलाया जाता है।
जब चावल पक जाए तो उसे ठंडा कर लीजिये। इसे झारखंड में भात कहते हैं। जब भात ठंडी हो जाए तो उसे एक बड़े बर्तन में डाल दें।
इस स्टेज में भात में तैयार की गई रानू की गोलियां मिलाई जाती है। इसके बाद इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया को फर्मेंटेशन कहते हैं।
सर्दियों में कम से कम 4 दिन इस भात को सड़ाते हैं। वहीँ गर्मियों में ये प्रक्रिया दो दिन में पूरी हो जाती है। जब चावल सड़कर गल जाते हैं तब इसमें पानी मिलाया जाता है।
लीजिये तैयार है राइस बियर। ये बियर प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स होता है। चावल और गेंहू से इसमें कार्ब और फाइबर भी मिल जाता है।