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एवरेस्ट गर्ल: चढ़ाई के दौरान संक्रमित..ऑक्सीजन कम फेफड़ों में भर गया पानी, पहाड़ों में रहकर जीती जंग
हिसार (हरियाणा). पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। जहां हर शख्स खौफ के साये में जी रहा है। सबसे बुरी हालत संक्रमित लोगों की है, उन्हें यही डर लगा रहता है कि वह अब ठीक होंगे भी या नहीं। लेकिन हिम्मत हारने और निराश होकर यह जंग नहीं जीती जाती है, बल्कि हम वायरस को और ज्यादा ताकतवर बना देते हैं। पॉजिटिव सोच और ऊंचे मनोबल से कोरोना जैसी घातक बीमारियों को घर में रहकर बड़ी आसानी से हराया जा सकता है। ऐसा कर दिखाया है एवरेस्ट फतह कर कीर्तिमान स्थापित करने वाली देश की प्रसिद्ध पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने, जिनकी मिशन माउंट ल्होत्से के दौरान संक्रमित हो गई थीं। अकेले होने के बाद भी उन्होंने अपनी हौसला नहीं खोया और होटल में रहकर 10 दिन में कोरोना की जंग जीत ली।
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दरअसल, पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने बीते माह 9 अप्रैल को नेपाल की माउंट ल्होत्से की चढ़ाई शुरू की थी। जहां वह 15 अप्रैल को लोबुचे पहुंच गईं। इसी दौरान उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई। अगले दिन उन्होंने अपनी मां आरती पाठक को फोन कर कहा मां मेरी कुछ तबीयत ठीक नहीं लग रही है। ना ता खाना पच रहा है और ना ही बुखार उतर रहा है। इसके बाद शिवांगी ने जब अपनी कोरोना जांच कराई तो वह संक्रमित पाई गईं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
19 अप्रैल को सुबह 11 बजे शिवांगी का रेस्क्यू कर काठमांडू के अस्पताल में लाया गया। जांच के दौरान पता चला कि उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम रह गया था। इतना ही नहीं फेंफड़ों में भी पानी भर चुका था। हालत गंभीर हो रही थी। इसके बाद शिवांगी को एक होटल में आइसोलेट कर दिया गया। वहीं उनके माता-पिता भी पहुंच गए। होटल में ही शिवांगी काढ़ा दिया गया और आयुर्वेद ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। तीन दिन तक शिवांगी की तबीयत खराब रही, लेकिन चौथे दिन उनकी हालत में सुधार होने लगा। इस तरह शिवांगी पूरे जोश और सकारात्मक सोच की दम पर 10 दिन में ही स्वस्थ हो गईं।
ठीक होकर शिवांगी ने बताया कि इस दौरान उन्होंने आयुर्वेद और योग के बल पर अपने आप को दुरुस्त किया है। वह शारीरिक रूप से तो बहुत कमजोर थी, लेकिन मानसिक रूप उन्होंने कभी अपने आपको ऐसा नहीं लगने दिया किया वह कोरोना संक्रमित हैं। शिवांगी ने कहा कि इस दौरान मैंने सकारात्मक सोच और हौंसले को बरकरार रखा। में घबराई नहीं, अच्छी बुक पढ़ी और योगा-कसरत करती रही। कोरोना से जुड़ी कोई भी निगेटिव खबर नहीं पढ़ी।
पूर्ण रूप से ठीक होने के बाद शिवांगी ने फिर से अपने मिशन माउंट ल्होत्से की चढ़ाई शुरु कर दी है। अब वह मिशन पूरा करने के लिए कैंप लिए निकलेगी। शिवांगी की तबीयत बिगड़ने पर उसके माता-पिता उसे अपने साथ घर ला रहे थे, लेकिन बेटी ने साथ आने से मना कर दिया। कहने लगी कि अब वह अपना मिशन पूरा करके ही घर लौटेंगी।
बता दें कि शिवांगी 8 मई को बेस कैंप पहुंच चुकी हैं और अब वह कैंप टू के लिए निकल चुकी है। शिवांगी की मां आरती पाठक ने बताया कि शिवांगी 25 मई तक माउंट ल्होत्से, जोकि विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी है और उसकी ऊंचाई 8516 मीटर है, जहां पर वह तिरंगा फहराएगी।
शिवांगी ने 16 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार माउंट एवरेस्ट और और माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका) पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराया था। वह सबसे कम उम्र में माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाली भारत की पहली लड़की हैं। उन्होंने पर्वतारोही ने 5,895 मीटर ऊंचे किलिमंजारो को सिर्फ 34 घंटों में पार कर लिय था।
साल 2019 में शिवांगी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाल शक्ति पुरस्कार देकर सम्मानित किया। यह सम्मान शिवांगी को स्पोटर्स कोटे में मिला है। राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में उनके परिवार के लोग भी गए हुए थे। शिवांगी ने 16 मई 2018 को एवरेस्ट को फतह किया था।
बाल शक्ति पुरस्कार के दौरान शिवांगी पाठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुकी है। उसका सपना था कि वह पीएम से मिले और उनका ऑटोग्राफ ले। इस मुलाकात के दौरान पीएम ने शिवांगी से कहा तुम तो हरियाणा की तगड़ी बेटी हो।
अपने माता-पिता के साथ पर्वतारोही शिवांगी पाठक।