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Abhishek Bachchan B'day: बड़े होने के बावजूद अभिषेक बच्चन की समझ थी बच्चों जैसी, इस बीमारी की वजह से हुआ ऐसा
हेल्थ डेस्क : बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan Birthday) 5 फरवरी को अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। बी-टाउन के सबसे अच्छे सितारों में से एक जूनियर बच्चन अपनी पहली फिल्म रिफ्यूजी के बाद से एक अनुभवी अभिनेता के रूप में उभरे और इंडस्ट्री को धूम, गुरु, रावन जैसी कई हिट फिल्मी दी। लेकिन क्या आप जानते हैं, 46 साल के हेल्दी, यंग और फिट अभिषेक बचपन में एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, जिसे डिस्लेक्सिया (dyslexia) कहा जाता है। आइए आज हम आपको बताते हैं डिस्लेक्सिया है क्या और इससे कैसे उभरा जाता है...
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क्या है डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया एक सीखने की बीमारी है जो आपके पढ़ने, लिखने और बोलने की क्षमता को प्रभावित करती है। ये खासकर बचपन में होता है। जिन बच्चों को बचपन में ये बीमारी होती है, वे अक्सर होशियार और मेहनती होते हैं। हालांकि, उन्हें उन अक्षरों को जोड़ने और समझने में परेशानी होती है।
डिस्लेक्सिया का क्या कारण है?
यह जीन से जुड़ी हुई बीमारी है, यही वजह है कि यह स्थिति अक्सर परिवारों में चलती है। यदि आपके माता-पिता, भाई-बहन या परिवार के अन्य सदस्यों को यह है तो आपको डिस्लेक्सिया होने की अधिक संभावना है।
कैसे होता है डिस्लेक्सिया
यह स्थिति दिमाग के उन हिस्सों में अंतर से उत्पन्न होती है जो भाषा को संसाधित करते हैं। डिस्लेक्सिया वाले लोगों में इमेजिंग स्कैन से पता चलता है कि दिमाग के क्षेत्र जो सक्रिय होना चाहिए, जब कोई व्यक्ति पढ़ता है तो ठीक से काम नहीं करता है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए ध्वनियों से अक्षरों को जोड़ने और फिर उन ध्वनियों को शब्दों में मिलाने में कठिनाई होती है। जैसे- CAT को वह TAC लिखते है या कुछ अक्षरों को उल्टा लिखते हैं।
डिस्लेक्सिया के लक्षण और संकेत
ऐसा कोई संकेत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि किसी व्यक्ति में सीखने की अक्षमता है। लेकिन कुछ ऐसे संकेत हैं जिनका मतलब यह हो सकता है कि बच्चे में डिस्लेक्सिया है, जैसे-
- बोलना सीखने में समय लगना।
- समान ध्वनि वाले शब्दों के बीच अंतर को पहचानने में समस्या।
- बोर्ड या किताब से कॉपी करने में कठिनाई।
- डिस्लेक्सिया के लक्षण में बाएं और दाएं में कठिनाई आम है।
- इसके अलावा खेल के मैदान पर दूसरे बच्चों की अपेक्षा कम एक्टिव होना, बॉल की गति या बल्ले को सही दिशा में धूमाने में असमर्थ होना।
डिस्लेक्सिया की ट्रीटमेंट
डिस्लेक्सिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई तरीके दैनिक कार्यों को आसान बनाने में मदद कर सकते हैं, जैसे- बच्चों को ज्यादा अटेंशन देना, स्कूल में टीचर और घर में पेरेंट्स का मार्गदर्शन, साथ ही बच्चे के मनोभाव को समझकर हौसला अफजाई करना। कभी-कभी बच्चे को काउंसलिंग की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
बच्चों को अपनी इच्छानुसार काम करने की आजादी दें
भले ही कोई बच्चा डिस्लेक्सिया के पीड़ित हो, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि, वो दूसरे बच्चों से अलग है। ऐसे में बच्चों में कोई ना कोई हॉबी जरूर होती है। जिसे पहचान कर आपको उस दिशा में उसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
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