ऐसे पिएंगे दूध तो बन जाएगा जहर, हड्डियां मजबूत करने की जगह दे देगा कैंसर
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हालांकि, शोधकर्ता इस बात पर एकमत नहीं हैं कि दूध को सुपरफूड की तरह देखना सही नहीं है। उनका कहना है कि दूध पीना शरीर के लिए फायदेमंद है, लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध पीने पर इसके नुकसान भी हैं।
अमेरिका के स्टैनफोर्ड प्रीवेंशन रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर और न्यूट्रिशन शोधकर्ता क्रिस्टोफर गार्डनर के हवाले डिस्कवर मैगजीन में बताया जा रहा है कि 'डेयरी प्रोडक्ट में कोई भी ऐसे अनूठे पोषक तत्व नहीं हैं, जो किसी और चीज में नहीं पाए जाते हैं। ये सच है कि दूध के जरिए कैल्शियम आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन और भी कई चीजें हैं जिससे कैल्शियम की पूर्ति की जा सकती है।'
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिशिन में छपी एक स्टडी के हवाले से खबरों में कहा जा रहा है कि 'मजबूत हड्डियों के लिए दूध किसी जादू की गोली की तरह नहीं है। जिन देशों में दूध का सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है, वहां भी फ्रैक्चर के मामलों की दर ज्यादा है। इसका मतलब ये है कि सिर्फ दूध कम या ज्यादा पीने से हड्डियों पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। बताया जाता है कि दूध के अलावा और भी चीजें हड्डियों को मजबूत बनाती हैं।
इस स्टडी में कहा जा रहा है कि 'लंबाई बढ़ने के साथ-साथ हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ने लगता है।' शोधकर्ताओं का कहना है कि 'दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, लेकिन ये पोषक तत्व और भी दूसरी चीजों से प्राप्त किए जा सकते हैं।'
कुछ लोगों को दूध की एलर्जी होती है, जिसे लैक्टोज इनटॉलेरेंस भी कहा जाता है। ऐसे लोग डेयरी प्रोडक्ट में पाए जाने वाले लैक्टोज को पचा नहीं पाते हैं और दूध पाने से इन्हें पेट फूलना या पेट में दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
रिपोर्ट्स की मानें तो दुनिया की लगभग 65 फीसदी आबादी को लैक्टोज से दिक्कत है। बाजार में लैक्टोज फ्री मिल्क मिलते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स इन लोगों को डाइट में सोया प्रोडक्ट्स और कैल्शियम के अन्य स्त्रोत जैसे ऑरेंज जूस, टोफू और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दूध की ज्यादा मात्रा गंभीर बीमारियां भी बढ़ा सकती है। खासतौर से गाय का दूध पीते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए।
रिपोर्ट की समीक्षा में पाया गया कि 'डेयरी प्रोजक्ट के ज्यादा इस्तेमाल से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इस पर अभी और शोध करने की जरूरत बताई गई है।'