सालों से इस बीमारी से जूझ रहे थे शरद यादव, खून का एक-एक कतरा करना पड़ता था साफ
हेल्थ डेस्क: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि कार्डियक अरेस्ट के चलते उनकी मौत हुई। इसकी जानकारी उनकी बेटी ने ट्वीट कर दी और लिखा पापा नहीं रहे। 75 वर्षीय शरद यादव पिछले कुछ समय से किडनी की समस्या से भी परेशान थे और वह डायलिसिस पर थे। ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं किडनी समस्या और डायलिसिस की प्रोसेस, ट्रीटमेंट और खर्चे के बारे में...
| Published : Jan 13 2023, 11:12 AM IST
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किन लोगों को होती है डायलिसिस की जरूरत
जब क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) लास्ट स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) तक पहुंच जाता है, जिसे किडनी फेलियर या स्टेज 5 CKD के रूप में भी जाना जाता है, तो किडनी खून को फिल्टर करने और साफ करने का काम नहीं कर पाती है। इस स्थिति में मरीज को डायलिसिस उपचार की आवश्यकता होती है।
डायलिसिस की प्रक्रिया
डायलिसिस एक फिल्टरिंग झिल्ली के जरिए खून से विषाक्त पदार्थों, अपशिष्ट और तरल पदार्थ को छानकर एक आर्टिफिशियल किडनी के रूप में काम करता है। इतना ही नहीं डायलिसिस शरीर के पोटेशियम, फास्फोरस और सोडियम के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है।
डायलिसिस के प्रकार
हेमोडायलिसिस
हेमोडायलिसिस के साथ फिल्टरिंग झिल्ली को डायलाइजर कहा जाता है और यह डायलिसिस मशीन के अंदर होता है। खून को डायलिसिस मशीन के जरिए ऑपरेट किया जाता है और आपके शरीर में वापस आने से पहले साफ किया जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस
इसमें फिल्टरिंग झिल्ली आपके पेरिटोनियम या पेट की प्राकृतिक परत होती है और खून को आपके शरीर ने बाहर नहीं निकाला जाता है। होम पेरिटोनियल डायलिसिस एक मशीन के साथ या मैन्युअल रूप से घर पर, काम पर, या यात्रा करते समय भी किया जा सकता है।
इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
जो लोग ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रसित होते है, तो उनमें किडनी फेलियर को जोखिम सबसे ज्यादा होता है। जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस जैसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है। डायलिसिस शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालता है, जिससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखकर ही किडनी को लंबे समय तक काम करने में मदद मिल सकती है।
डायलिसिस का खर्चा
डायलिसिस एक महंगी प्रोसेस है। जिसमें हेमोडायलिसिस कराने में 12-15 हजार रुपए प्रति माह खर्च हो सकते हैं। वहीं, पेरिटोनियल डायलिसिस करने में 18-20 हजार रुपए प्रति माह के बीच खर्च आ सकता है। हालांकि, अलग-अलग हॉस्पिटल के हिसाब खर्च में बदलाव हो सकते है।
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