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क्या है लड़कियों की वर्जिनिटी चेक करने वाला two finger test, जानें भारत में क्यों किया गया बैन
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साल 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेप पीड़ितों के इलाज के लिए नए दिशा-निर्देश बनाए, जिनके मुताबिक, प्रत्येक हॉस्पिटल में पीड़िता की चिकित्सा और फोरेंसिक जांच के लिए एक अलग कमरा होना चाहिए। इन दिशानिर्देशों में पीड़िता के साथ टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक और गैरकानूनी बताया गया है।
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WHO (World Health Organization) ने भी टू फिंगर टेस्ट को अनैतिक बताया है। उन्होंने कहा था कि बलात्कार के केस में अकेले हाइमन की जांच से सबकुछ पता नहीं चलता है। ये संदिग्ध होती है। टू फिंगर टेस्ट मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ ही पीड़िता के लिए दर्द का कारण बन सकता है। ये यौन हिंसा के जैसा ही है, जिसे पीड़िता दोबारा अनुभव करती है।
वॉर अगेंस्ट रेप (WAR) के प्रोग्राम ऑफिसर शेराज़ अहमद कहते हैं, टू फिंगर टेस्ट अपने आप में बलात्कार है। साल 2010 में ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक रिपोर्ट में बताया था कि इस टेस्ट पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। ये फैसला तब किया गया, जब उन्होंने टू फिंगर टेस्ट से गुजर चुकी महिलाओं के इंटरव्यू किए।
ह्यूमन राइट्स वॉच की महिला अधिकार शोधकर्ता अरुणा कश्यप कहती हैं कि टू फिंगर टेस्ट बलात्कार पीड़िता के साथ एक और बलात्कार है, जिससे उसे और अधिक अपमान का खतरा है।
टू फिंगर टेस्ट क्या है?
टू फिंगर टेस्ट एक मैन्युअली प्रक्रिया है, जिसमें पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर टेस्ट किया जाता है कि वह वर्जिन है या नहीं। इससे वहां उपस्थित हायमन का पता भी लगाया जाता है। ये जानने की कोशिश की जाती है कि महिला ने पहले शारीरिक संबंध बनाए थे या नहीं।
टू फिंगर टेस्ट कहां बैन है?
WHO ने टू फिंगर टेस्ट (Two finger test) पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये प्रक्रिया वैज्ञानिक नहीं है। भारत में साल 2013 में ही टू फिंगर टेस्ट (Two finger test in india) पर रोक लगा दी गई है। 2018 में बांग्लादेश में भी इस टेस्ट पर रोक लगा दी गई।
नोट- खबर में इस्तेमाल की गईं सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं
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