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- 6 साल की उम्र में रिंग में उतरीं, अब भोपाल की इस बेटी ने US ओपन में जीता गोल्ड, ऐसा करने वाली देश की पहली गर्ल
6 साल की उम्र में रिंग में उतरीं, अब भोपाल की इस बेटी ने US ओपन में जीता गोल्ड, ऐसा करने वाली देश की पहली गर्ल
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सुप्रिया के पिता फौज में थे, अब वे रिटायर हो चुके हैं। यही कारण है कि अनुशासन उनके जीवन का हिस्सा बहुत पहले ही बन गया था। जब वे छह साल की थीं तभी उनके पापा ने उनका एडमिशन ग्वालियर के कराटे के लिए करा दिया। उन्होंने बेटी से कहा कि ये खेल लड़कियों के लिए शानदार है। इससे वे सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग मिलेगी जो किसी भी संकट में काम आएगा।
पिता ने बेटी को सेल्फ डिफेंस सीखने को भेजा लेकिन उनको क्या पता कि उनकी बेटी एक दिन इसी खेल के जरिए उनका नाम ऊंचाईयों तक पहुंचा देगी। सुप्रिया के मन को यह खेल इतना भाया कि उन्होंने इसी में अपना फ्यूचर देख लिया। फिर क्या था एक साल में ही उनका जुनून मेडल में बदलने लगा।
सुप्रिया बताती हैं कि साल 2002 में उनका सेलेक्शन साई (SAI) धार के लिए हो गया। यहां उन्हें कोच जयदेव शर्मा मिले, जिन्होंने इस खेल की एक-एक बारीकियों से सुप्रिया का परिचय कराया और उन्हें इस खेल का मंझा खिलाड़ी बना दिया। 2006-07 में भोपाल में जब मप्र कराटे एकेडमी बनाया गया तो कोच जयदेव को ही चीफ कोच बनाया गया। फिर सुप्रिया भी इसी एकेडमी में आ गईं। तब से यहीं से खेल रही हैं।
सुप्रिया के शानदार करियर का अंदाजा उनके पंच ही बताते हैं। उनकी सफलता ही है कि अब वो छह इंटरनेशनल गोल्ड, 22 नेशनल गोल्ड सहित 37 मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। इनमें 12 मेडल तो इंटरनेशनल लेवल पर ही जीता है। सुप्रिया को एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड भी मिल चुका है। साल 2015 में विक्रम अवॉर्ड मिलने के बाद उन्हें उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया गया।
सुप्रिया को खेल कोटे से सरकारी नौकरी मिली है। वो मध्यप्रदेश कराटे एकेडमी एसोसिएटेड मेंबर भी हैं। उनके माता-पिता अहमदाबाद में रहते हैं। जबकि उनकी रोजाना प्रैक्टिस भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में होती है। वहीं, पर उनके खाने-पीने का भी अरेंजमेंट रहता है। सुप्रिया भविष्य में कोच बनना चाहती हैं। कराटे के अलावा वे स्पोर्ट्स मॉडलिंग भी करती हैं।
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