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बेटी को पढ़ाने के लिए हरियाणा ले जाने वाली थी अनपढ़ मां, लेकिन उससे पहले ही बच्ची के साथ हुआ ये सब
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 13 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की हद पार हो गई। हाल ही में पीड़िता के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वो परिवार के साथ दो-चार दिन में हरियाणा कमाने जाने वाले थे लेकिन ये सब हो जाएगा उन्हें की इसकी उम्मीद नहीं थी। कोरोना के चलते वो लखनऊ से लौटा था।
| Published : Aug 16 2020, 05:14 PM IST / Updated: Aug 17 2020, 10:58 AM IST
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मीडिया से बातचीत में पिता अपनी बेटी का बचपना याद करते हुए बार-बार भावुक हो जाते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि उसे दो चोटी बांधना बड़ा पसंद था। सहेलियों के साथ खूब खेला करती थी। वो कहते हैं कि पता नहीं उनके परिवार को किसकी नजर लग गई। उनकी तो किसी से रंजिश भी नहीं थी। बेटी की मां को होश तक नहीं है। वो तो बस इतना ही कह पा पही है कि उनकी इकलौती बेटी थी। उसे वो इतना पढ़ाना चाहती थी कि वो अपने हाथों से दस्तख्त कर ले। इसके साथ ही रोते हुए मां कहती है कि अब उसका ख्याल कौन रखेगा?
मां ने रोते हुए बताया कि दिन में बिटिया ने खाना बनाया। दोनों ने साथ में खाया था। उसके बाद वह कामकाज में उलझ गई और परिवार के लोग खेत चले गए। लौटे तो बिटिया घर में दिखी नहीं तो उन्होंने अपनी बहू से पूछा तो उसने कहा वो बच्चों के साथ सो रही थी। उन्हें नहीं मालूम है।
पीड़िता के पिता ने बताया कि कुछ देर इंतजार के बाद शुक्रवार दोपहर दो बजे उन्होंने बेटी को ढूंढना शुरू किया। गन्ने के खेत की तरफ भी गए तो जो दो लोग पकड़े गए हैं, वह वहीं पर मेढ़ पर बैठे थे। दो बार वो उधर गए और उन लोगों ने कहा इधर लड़की नहीं आई है। फिर उन्होंने खेत में जाकर देखा तो बेटी की आंखें फोड़ दी गई थीं, जुबान भी काटी गई थी। पुलिस ने परिवार वालों के बताने के बाद दो संदिग्धों को पकड़ लिया।
पिता रोते हुए कहते हैं कि जिन दो लोगों को पकड़ा गया है, उनके बारे उन्हें नहीं पता कि वह सही आरोपी हैं या नहीं। वह संदिग्ध लगे तो उन्होंने उन्हें बताया। बाकी पुलिस आरोपियों को पकड़ कर परिवार को न्याय दिलाए और पिता ने इंसाफ के तौर पर फांसी की मांग की। उनके पुरखे इस गांव में रहते थे। उन्होंने इस गांव में जन्म लिया, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई। यह पहली बार हुआ और उनकी बेटी के साथ ही हुआ।
पिता ने बताया कि उनके पास बहुत थोड़ी-बहुत जमीन है। जिससे परिवार का खर्च नहीं चल पाता है। इसकी वजह से वो बाहर काम करने जाते हैं। पहले लखनऊ में मजदूरी कर रहे थे। कोरोना की वजह से लौट आए। तब से यहीं थे। किसी तरह गुजर-बसर हो रही थी। अब एक ठेकेदार से दस हजार रुपए बयाना लिया था। 20 अगस्त को परिवार समेत हरियाणा में एक ईंट भट्ठे पर जाने वाले थे। वहां, ईंट पथाई का काम था। इसी सब की तैयारी चल रही थी कि ये सबकुछ हो गया। परिवार में पत्नी, दो बेटे, एक बहू के अलावा इकलौती 13 साल की बिटिया थी।
मां ने कहा कि वो लोग जहां भी काम करने जाते हैं, वहां बिटिया भी साथ होती थी। कोई प्राइमरी स्कूल मिला तो उसी में डाल देते थे। वो चाहती थी कि कम से कम दस्तखत करने लायक तो पढ़ाई कर ही ले, क्योंकि आगे पढ़ाने की उनकी हैसियत नहीं थी। उनका एक बेटा भी दस्तखत कर लेता है। उनके दोनों बेटे भी मजदूरी करते हैं। वह भी अलग-अलग जगहों पर काम करने जाते थे। इस बार वो सब लोग साथ में हरियाणा काम करने जा रहे थे।