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द्रौपदी मुर्मू से शादी के लिए अड़ गए थे उनके होनेवाले पति, गांव में ही बैठ गए थे धरने पर
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संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं मुर्मू :
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। वो आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई है। उनके चार बच्चे (दो बेटे और दो बेटी) हुए, जिनमें से अब सिर्फ एक बेटी ही बची है।
होनेवाले पति से पहली बार ऐसे मिली थीं मुर्मू :
द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रमादेवी वुमन कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन किया है। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दरअसल, श्याम चरण भी भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे। पहली मुलाकात के बाद धीरे-धीरे दोनों की जान-पहचान प्यार में तब्दील हो गई।
जब द्रौपदी के घर रिश्ते की बात करने पहुंच गए श्याम :
श्याम चरण मुर्मू अपने रिश्ते को आगे ले जाना चाहते थे। यही वजह थी कि वो द्रौपदी से हर हाल में शादी करना चाहते थे। साल 1980 की बात है, जब वो एक दिन शादी का प्रपोजल लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए। द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने श्याम के साथ अपनी बेटी की शादी करने से साफ इनकार कर दिया था। लेकिन श्याम भी अड़ गए थे। वो अपने रिश्तेदारों के साथ द्रौपदी के गांव उपरबेड़ा में ही डेरा डाल कर बैठ गए।
आखिरकार शादी के लिए राजी हो गए द्रौपदी के घरवाले :
श्याम चरण जब उपरबेड़ा गांव में डेरा डाल कर बैठ गए तो श्याम के दिल में अपने लिए इतना प्यार देखकर द्रौपदी का दिल भी पिघल गया। इसके बाद द्रौपदी ने फैसला कर लिया कि अब वो हर हाल में उन्हीं से शादी करेंगी। कई दिनों तक अड़े रहने के बाद आखिरकार द्रौपदी के पिता और घरवाले भी शादी के लिए मान गए। इसके बाद एक बैल, एक गाय और कुछ जोड़ी कपड़ों की बात पर दोनों की शादी तय हो गई और इस तरह 1980 में द्रौपदी पहाड़पुर गांव की बहू बनीं।
द्रौपदी मुर्मू के 4 बच्चे थे, लेकिन..
बता दें कि द्रौपदी और श्याम के 4 बच्चे (दो बेटे और दो बेटी) हुए, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। उनकी एक बेटी और दो बेटों की मौत हो गई। उनकी पहली बेटी जब 3 साल की थी तभी 1984 में उसकी मौत हो गई। 2010 में उनके पहले बेटे और तीन साल बाद यानी 2013 में दूसरे बेटे की मौत हो गई। इसके बाद अगले ही साल 2014 में उनके पति भी इस दुनिया को अलविदा कह गए।
3 बच्चों और पति की मौत से टूट गई थीं मुर्मू :
दो जवान बेटों और पति की मौत से दुखी द्रौपदी पूरी तरह टूट गई थीं। हालांकि, धीरे-धीरे उन्होंने ध्यान और योग के जरिए खुद को उबारा। उन्होंने अपने पहाड़पुर वाले घर को स्कूल में तब्दील करवा दिया। अब यहां बच्चे पढ़ाई करते हैं। द्रौपदी यहां अपने बच्चों और पति की पुण्यतिथि पर अक्सर आती हैं।
आंखें दान कर चुकी हैं मुर्मू :
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने रांची के कश्यप मेडिकल कॉलेज द्वारा आयोजित किए गए रन ऑफ विजन प्रोग्राम में अपनी आंखें दान करने का ऐलान किया था। 2007 में उन्हें ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए 'नीलकंठ पुरस्कार' से सम्मानित भी किया जा चुका है।
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