आम लोगों को फांसी देखने की मनाही होती है, सिर्फ ये लोग रह सकते हैं मौजूद
| Published : Jan 07 2020, 06:58 PM IST / Updated: Jan 07 2020, 06:59 PM IST
आम लोगों को फांसी देखने की मनाही होती है, सिर्फ ये लोग रह सकते हैं मौजूद
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
15
निर्भया के चारों दोषी : 1)मुकेश सिंह - निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था। 2)अक्षय ठाकुर- यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है। 3)विनय शर्मा- निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन बच गया। 4)पवन गुप्ता- पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।
25
जेल रिफॉर्म्स कमेटी 1980-83 की रिपोर्ट में एक सिफारिश की गई कि बंदी को मृत्युदंड देते समय उनके रिश्तेदारों को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अगर जेल अधीक्षक चाहे तो साइंटिस्ट, सॉयकोलॉजिस्ट को उपस्थित रहने की अनुमति दी जा सकती है। इस विषय में अभी तक शासन द्वारा कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है और न ही पुराने नियमों में कोई बदलाव किया गया है।
35
रिश्तेदारों को फांसी के फंदे से कुछ दूरी पर रखा जाता है। उनके पास रिजर्व गार्ड खड़े किए जाते हैं, जो किसी गड़बड़ी को होने से रोक सके। जैसी की कैदी को मुक्त कराने के किसी भी कोशिश को रोका जा सके।
45
फांसी की सजा दिए जाने के दौरान जेल अधीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट या उसके द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट जो प्रथम श्रेणी का हो तथा सहायक सर्जन या उससे ऊपर की श्रेणी का चिकित्सा अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित होता है।
55
फांसी देने से पहले कैदी को जेल कोठरी से बाहर निकाले जाते हैं। इसके बाद जेल अधीक्षक डेथ वारंट पढ़कर सुनाता है। इसके बाद जेल अधीक्षक या संबंधित अधिकारी उस कैदी की पहचान करता है। इसके बाद फांसी देने की प्रक्रिया शुरू होती है।