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अनपढ़ अम्मा ने भीख मांग बनवाए 4000 शौचालय, अब राष्ट्रपति ने किया सम्मानित तो पीएम ने दिया अकाउंट
नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 15 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। इसमें एक नाम कानपुर की रहने वालीं कलावती देवी का भी है। कलावती को आज दोहरी खुशी मिली, एक ओर उन्हें ये सम्मान मिला तो दूसरी ओर पीएम मोदी ने जिन 7 महिलाओं को आज अपना सोशल मीडिया अकाउंट समर्पित किया, उनमें भी वे शामिल रहीं। कलावती ने कानपुर और आसपास के इलाकों में 4000 शौचालय बनवाए हैं। शुरुआत में उन्हें इसके लिए भीख और चंदा भी मांगना पड़ा। आईए जानत हैं कौन हैं कलावती?
| Published : Mar 08 2020, 03:52 PM IST / Updated: Mar 08 2020, 03:55 PM IST
अनपढ़ अम्मा ने भीख मांग बनवाए 4000 शौचालय, अब राष्ट्रपति ने किया सम्मानित तो पीएम ने दिया अकाउंट
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कलावती ने पीएम के ट्विटर हैंडल से लिखा, देश की बहन, बेटी और बहुओं को मेरा यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। इसलिए बाहर निकलिए। अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए। अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं।
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उन्होंने कहा, स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय जरूर लगा। लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा। मेरा अरमान पूरा हुआ, स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ। हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है।
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कलावती ने कहा, मैं जिस जगह पे रहती थी, वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया। आखिरकार सफलता हाथ लगी।
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58 साल की कलावती पेशे से राजमिस्त्री हैं। उन्होंने 4000 से अधिक शौचालय अपने हाथ से बनवाए हैं। कानपुर को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
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कलावती सीतापुर की रहने वाली हैं। वे पति के साथ कानपुर आ गई थीं। यहां वे राजापुरवा में रहती हैं। कलावती अनपढ़ हैं। लेकिन उनके अंदर समाज के लिए कुछ करने की ललक थी। उनके मौहल्ले में 700 लोगों में एक भी शौचालय नहीं था। उन्हें पहले शौचालय के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी।
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उन्होंने इसके लिए चंदा मांगा। वे बताती हैं कि उन्होंने इसके लिए भीख मांगकर पैसे इकट्ठे किए। इसके बाद वे एक शौचालय बनाने में कामयाब हो सकीं। हालांकि, यह तो सिर्फ शुरुआत थी।
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इसके बाद कलावती ने कानपुर और आसपास के इलाकों में शौचालय का निर्माण करवाना शुरू किया।
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कलावती बताती हैं कि शुरुआत में लोग शौचालय बनवाने के लिए तैयार नहीं होते थे। लेकिन बाद में उन्होंने शौचालय की जरूरत को लोगों को बताया। इसके बाद वे एक एनजीओ से जुड़ गईं। इसकी सहायता से कलावती अभी तक 4000 से ज्यादा शौचालय बनवा चुकी हैं।