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आखिर संविधान लागू करने 26 जनवरी को ही क्यों चुना गया, जानिए गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ फैक्ट
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भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र हुआ। इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान बनाया गया। इस दिन देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ झंडावंदन किया था।
डॉ. भीमराव अंबेडकर (BR Ambedkar) ने संविधान को 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया था। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है। संविधान सभा के अध्यक्ष अंबेडकर थे। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि के प्रमुख सदस्य।
संविधान सभा में कुल 22 समितियां थीं। इनका काम था- संविधान लिखना या निर्माण करना। इसकी प्रारूप समिति के अध्यक्ष अंबेडकर थे। 26 नवंबर, 1949 को पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का संविधान सौंपा गया था।
संविधान में सभा के 308 सदस्यों ने कई सुधार और बदलाव किए। इसके बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद 26 जनवरी को देशभर में इसे लागू किया गया।
संविधान 26 जनवरी 1950 की सुबह 10.18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था। बता दे कि 26 जनवरी 1930 को लाहौर में राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। इसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसमें पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई थी। इसलिए संविधान लागू करने का दिन 26 जनवरी चुना गया।
गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह दिल्ली में होता है। इसमें राजपथ पर 8 किमी लंबी परेड निकलती है। यह रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट होते हुए लालकिले पर जाकर समाप्त होती है।
(संविधान सभा के सदस्य)
पहला गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर नहीं, बल्कि तत्कालीन इर्विन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) में हुआ था। उस वक्त यह स्टेडियम खुला था और अंदर से लाल किला नजर आता था।
गणतंत्र दिवस पर परंपरा के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके साथ राष्ट्रगान होता है। यह करीब 52 सेकंड का होता है।
यह तस्वीर पहले गणतंत्र दिवस समारोह की है। इसमें पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
यह है हमारा भारतीय संविधान। इसमें देश के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों आदि की व्याख्या की गई है।