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- सुर्खियों में रहीं वर्ष 2020 की ये तस्वीरें, मजबूरी में मीलों पैदल चलना पड़ा..पांव में पड़े छाले
सुर्खियों में रहीं वर्ष 2020 की ये तस्वीरें, मजबूरी में मीलों पैदल चलना पड़ा..पांव में पड़े छाले
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पहली तस्वीर अहदाबाद से सामने आई थी। एक श्रमिक अपनी बेटी के साथ कालूपुर जा रही थी। रास्ते में बच्ची की चप्पल टूट गई। वो एक चप्पल पहनकर ही मई की तपती गर्मी में चलती रही। दूसरी तस्वीर 10 साल की बच्ची की सामने आई थी। वो नंगे पांव चंडीगढ़ से यूपी जा रही थी।
यह बच्चा लॉकडाउन में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के जांजगीर पहुंचा था। करीब 215 किमी उसे पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं लिफ्ट भी मिली। जब ये जांजगीर पहुंचा, तो उसके नंगे पैर देखकर बिर्रा थाने के प्रभारी तेज कुमार यादव भावुक हो उठे। उन्होंने बच्चे को नई चप्पलें दिलवाईं और उसके परिवार को खाना खिलवाया। इसके बाद गाड़ी का इंतजाम करके सबको घर तक पहुंचवाया।
यह तस्वीर भोपाल से सामने आई थी। यह मासूम बच्चा अपने मां-बाप और छोटे भाई के साथ 700 किमी दूर छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव जाता दिखाई दिया था। बच्चा पैदल ही नंगे पैर चला जा रहा था।
पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा मजदूर यूपी के गोरखपुर का रहने वाला था। उसने घर जाने के लिए ट्रेन में सीट बुक कराई थी, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार उसने बच्चों को पालकी में बैठाया और हिम्मत करके 1000 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। दूसरी तस्वीर आंध्र प्रदेश के कडपा जिले से सामने आई थी। यह मजदूर 8 लोगों के परिवार के साथ 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकला था। उसने अपने मासूम बच्चों को पालकी में बैठा रखा था।
यह तस्वीर गाजियाबाद से सामने आई थी। कुछ ऐसे सफर करना पड़ रहा बच्चों को।
लॉकडाउन में बुजुर्गों को इस तरह अपने घर जाना पड़ा था।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई थी। पश्चिम बंगाल के मालदा की खातून 2500 किमी का सफर पैदल करते दिखाई दी थीं। हैरानी की बात उनकी गोद में मासूम बच्चा था।
यह तस्वीर राजस्थान से सामने आई थी। मई की गर्मी में पैदल चलकर थकने के बाद कुछ यूं सो गया मासूम।
लॉकडाउन में घर के लिए निकली मजदूर मां जब थककर सो गई, तब बेटी उसे यूं प्यार करके उठाने लगी।
लॉकडाउन में मासूम बच्चों को लाइन में लगकर खाना लेना पड़ा।
यह तस्वीर गुरुग्राम से सामने आई थी। बच्चों को लेकर पैदल जाते दिखाई दिए थे मजबूर मजदूर।
यह तस्वीर नोएडा से सामने आई थी। एक मजदूर को यूं घर और गृहस्थी का बोझ ढोना पड़ेगा, उसने कभी नहीं सोचा था।
यह तस्वीर कोलकाता से सामने आई थी। इस महिला के पास न उस समय कोई घर था और न कोई ठिकाना।