- Home
- States
- Punjab
- कहीं का न रहा जीवन: हिलाकर रख देने वालीं इन तस्वीरें ने 1947 में भारत-पाक बंटवारे की यादों को किया जिंदा
कहीं का न रहा जीवन: हिलाकर रख देने वालीं इन तस्वीरें ने 1947 में भारत-पाक बंटवारे की यादों को किया जिंदा
बठिंडा, पंजाब. न गठरी में रोटी और न जेब में पैसा! यह हालत हजारों प्रवासी मजदूरों की है, जो अपना घर-गांव छोड़कर दूसरे शहरों में रोजी-रोटी का सपना लेकर आए थे। कोरोना संक्रमण के चलते जब से लॉकडाउन हुआ है, उनका सपना तो टूटा ही, सांसें भी उखड़ने लगी हैं। देशभर में लाखों मजदूर हैं, जो उल्टे पांव अपने घरों को लौट रहे हैं। इनमें से हजारों को पैदल ही घर को लौटना पड़ा। कइयों को रोटी नसीब नहीं। मासूम बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा कि यह सब क्या हो रहा है? मां-बाप समझ नहीं पा रहे हैं कि वे घर पहुंच भी जाएंगे, तो वहां क्या करेंगे? मजदूरों का इस तरह घर लौटना सरकार की नाकामी को भी दिखाता है। अगर अकेल पंजाब की बात करें, तो करीब 11 लाख लोगों ने घर वापसी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है। सरकार का दावा है कि वो सवा लाख लोगों को उनके घरों तक भेज चुकी है। बठिंडा में हजारों मजदूर बेकार होकर घर लौट पड़े हैं। सरकार इनके लिए न तो यहां खाने-रहने का इंतजाम कर सकी और न लौटने का सही प्रबंध। देखिए प्रवासी मजदूरों की घर वापसी से जुड़ीं कुछ मार्मिक तस्वीरें..
| Published : May 15 2020, 12:03 PM IST
- FB
- TW
- Linkdin
ये दो तस्वीरें पंजाब की हैं। खेलने-कूदने और मस्ती करने के दिनों में इन मासूमों को हजारों भीड़ के साथ बस चलते जाना है। छोटे बच्चे मां की गोद से चिपके हैं। जो थोड़ा-बहुत भी चल सकते हैं, वे पैर घिसटते हुए चले जा रहे हैं।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। यह मजदूरों के बच्चों की व्यथा खुद कह देती है।
यह तस्वीर लुधियाना से पैदल यूपी के हरदोई स्थित अपने गांव के लिए निकले मजदूरों की है। ये जब दिल्ली पहुंचे, तो एक बच्ची अपनी गुड़िया के साथ बैठी नजर आई। मां-बाप ने बच्ची को बहलाने के मकसद से गुड़िया पकड़ा दी, ताकि उसे भीड़ से घबराहट न हो।
लुधियाना से पैदल नई दिल्ली पहुंचे यूपी के मजदूर। जिन बच्चों के खेलने-कूदने के दिन हैं, उन्हें ऐसे बोझ ढोना पड़ रहा है।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। बेबस पिता के कंधे पर बैठा मायूस बच्चा।
यह तस्वीर गाजियाबाद की है। अपने घर जाने इंतजार में बैठे मजदूरों को रोकने एक वॉलिंटियर यूं पाइप लेकर खड़ा है, जैसे जानवरों को कंट्रोल करने आया हो।
यह तस्वीर भुवनेश्वर की है। इन मजदूरों को नहीं मालूम था कि जिंदगी ऐसे दिन भी दिखाएगी।
गाजियाबाद में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पुलिस से आगे जाने देने की मिन्नतें करता एक बेबस आदमी।
ये तस्वीरें सरकार की नाकामी को दिखाती हैं। भला कौन इस तरह मीलों पैदल चलकर अपने घर जाना चाहेगा?
साइकिल पर बच्चों और गृहस्थी को समेटकर घर की ओर मायूस कदमों से लौटता प्रवासी मजदूर।
यह तस्वीर लखनऊ की है। डम्पर में किसी सामान की तरह ठुंसकर बैठे मजदूर।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। आंधी और बारिश के बीच भी मजदूरों बेबस होकर आगे बढ़ते रहे।
पंजाब के बठिंडा में रेलवे स्टेशन के बाहर ट्रेन के इंतजार में ऐसी मची अफरा-तफरी कि बची-खुची गृहस्थी भी बिखर गई।