एक साथ एक-दूजे के हुए 11 जोड़े, सात फेरों के साथ लिए मास्क पहनने की शपथ
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नारायण सेवा संस्थान और दानदाताओं ने ने सभी विवाहित जोड़ों के लिए कन्या दान के रूप में घरेलू उपकरणों और उपहार में अन्य घरेलू वस्तुओं का इंतजाम किया। इस दौरान 35 वें सामूहिक विवाह समारोह में शादी के बंधन में बंधे पूजा और कमलेश ने अपने अनुभव साझा किए।
दुल्हन बनी पूजा ने कहा कि मैंने एक दुर्घटना में अपना पैर खो दिया था। फिर, मैं नारायण सेवा संस्थान में संपर्क किया। यहां एक सर्जरी के माध्यम से मेरा निःशुल्क इलाज किया गया। यह ऐसी सर्जरी थी, जिसके लिए मुझे और मेरे परिवार को काफी खर्च करना पड़ता। मुझे खुशी है कि मैं अब इस सर्जरी के कारण एक अच्छी जिंदगी जी सकती हूं। मैं अपने जीवन साथी कमलेश जी से मिलकर बहुत खुश हूं।
कमलेश का कहना है कि तीन साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित हो गए। इसके बाद उन्हें बेहद चुनौतीपूर्ण जीवन गुजारना पड़ा। नारायण सेवा संस्थान में उनकी सर्जरी की गई और आज बैशाखी की मदद से चल-फिर सकते हैं। कई बाधाओं के बाद, उन्होंने पंचायत सहायक के रूप में नौकरी भी हासिल की।
दूल्हा बने कमलेश का कहना है, दिव्यांग होना सिर्फ एक शारीरिक विकार है, यह बीमारी नहीं है। मैं हमेशा भावनात्मक रूप से बहुत मजबूत रहा हूं और चुनौतियों का सामना किया है जिन्होंने मुझे मजबूत बनाया है। मैंने किराने की दुकान से अपना व्यवसाय शुरू किया और बाद में पंचायत सहायक के रूप में नौकरी हासिल की।
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि सामूहिक विवाह समारोह एक ऐसा आयोजन है, जो हमारे दिल के बेहद करीब है। इसी से जुड़ा हमारा विशेष अभियान है- ‘दहेज को कहें ना!‘ हम पिछले 18 वर्षों से इस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।हमें इस बात की खुशी है कि संस्थान के प्रयासों से अब तक 2098 जोड़े एक सुखी और संपन्न वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं।