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4 दिन तक पेट के अंदर था विस्फोटक, कभी भी फट जाता और उड़ जाते चीथड़े, डॉक्टर्स के भी छूट गए पसीने
कोसोवो. गलती से छोटी-मोटी चीजें निगल लेने की खबरें तो खूब सुनी होगी, लेकिन क्या कभी सुना है कि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर ऐसी चीज निगल ली हो, जो उसके पेट में जाने पर विस्फोट हो जाए। पेट फट जाए और उसकी वहीं पर मौत हो जाए। शायद नहीं। लेकिन कोसोवा की राजधानी प्रिस्टिना में एक व्यक्ति ने ऐसा किया। मरीज की हालत देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए। चार दिन तक पेट में रहा विस्फोटक...
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नोकिया का पूरा का पूरा निगल लिया था
कोसोवो की राजधानी प्रिस्टिना में एक हॉस्पिटल के जरिए क्लिप दिखाई गई। जिससे पता चला कि उनके पास एक ऐसा केस आया था, जिसमें एक व्यक्ति ने पूरा का पूरा नोकिया मोबाइल निगल लिया था।
डॉक्टर ने स्थिति देखकर कहा कि ये इतना बड़ा है कि कोई गलती से तो नहीं निगलेगा। ये जानबूझकर ही किया गया है। फिलहाल डॉक्टर ने एक्सर देखकर और भी चौंकाने वाली बात कही।
पेट में तीन भाग में फोन दिख रहा था
डॉक्टर ने सर्जरी की तो हैरान रह गया। मरीज के पेट में फोन तीन भाग में दिख रहा था। बैटरी, कवर और स्क्रिन। तीनों भाग पेट में साफ-साफ दिख रहे थे। डॉक्टर को सबसे ज्यादा डर बैटरी का था।
डॉक्टर को डर था कि किसी भी वक्त मरीज के पेट में बैटरी फट सकती है। अगर ऐसा होता तो मरीज की तुरन्त ही मौत हो जाती। हालांकि इससे भी चौंकाने वाली बात मरीज ने बताई।
4 दिन से मरीज के पेट में फोन पड़ा था
डॉक्टर तक और चौंक गए जब मरीज ने बताया कि चार दिन में उसके पेट में मोबाइल फोन पड़ा है। पहले तो उसे पता नहीं चला। लेकिन जब समय बीता तो उसके पेट में दर्द होने लगा। जब असहनीय दर्द हुआ तो वह डॉक्टर के पास आया। डॉक्टरों ने करीब 2 घंटे के बाद मोबाइल फोन के सभी पार्ट्स को बाहर निकाला।
मुंह से ही निकाला गया फोन
डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज ने जैसे फोन को अंदर डाला था, वैसे ही उसे बाहर भी निकाला गया। 33 साल के मरीज को देखकर डॉक्टर स्केंडर तेलकू ने कहा कि उन्होंने अपने करियर के कई केस देखे हैं, लेकिन ये सबसे विचित्र ऑपरेशनों में से एक था। मरीज ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उसने फोन क्यों निगला।
डॉक्टर ने बताया कि मोबाइल फोन की बैटरी में सीसा और टिन जैसी कई जहरीले रसायन होते हैं और कुछ पुराने मॉडलों में पारा भी होता है। फोन के जिस मॉडल को मरीज ने निगला था, उसमें लिथियम-आयन बैटरी लगी थी। अच्छा हुआ ये फटा नहीं, नहीं तो मरीज की मौत हो जाती।
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