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नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी का हो गया फैसला: बलवीर गिरि मठ की गद्दी पर बैठेंगे..लेकिन एक कमेटी रखेगी नजर
प्रयागराज ( उत्तर प्रदेश). अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (akhada parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध हालत में मौत के बाद उनके उत्तरधिकारी पर फैसला हो गया है। अब बाघंबरी मठ की कमान बलवीर गिरि को सौंपी जाएगी। यानि मंहत के सबसे प्रिय शिष्य बलवीर ही नरेंद्र गिरि की गद्दी पर बैठेंगे। 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरी का षोडशी संस्कार होगा, इसी दौरान बलवीर गिरि उत्तराधिकारी बनाए जांएगे। आइए जानते हैं कैसे हुआ यह फैसला...
| Published : Sep 29 2021, 02:51 PM IST
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दरअसल, महंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद उनके कमरे से पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला था, उसमें उन्होंने बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इतना ही नहीं कुछ वसीयतें भी सामने आईं, जिसमें भी बलवीर गिरि को ही बाघंबरी मठ की गद्दी पर बिठाने का जिक्र है। जून 2020 को लिखी गई आखिरी वसीयत को रजिस्टर्ड बताया गया है। जिसमें लिखा गया है कि नरेंद्र गिरि के निधन के बाद बलवीर ही अगले मठाधीश होंगे।
बता दें कि मंगलवार रात को हुई अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वरों की बैठक में वसीयत के आधार पर बलवीर गिरी को बाघंबरी मठ की गद्दी पर बिठाने फैसला किया है। हालांकि बलवीर के मठ प्रमुख के अलवा एक एडवाइजरी कमेटी भी बनेगी। जो कि पूरे अखाड़े नजर रखेगी। इस बोर्ड में अखाड़े और मठ के 5-6 लोग शामिल होंगे। जिनको मठ की बारिकियां पता हों वह एक तरह से बाघंबरी मठ के नए महंत पर अंकुश रखेंगे।
बलवीर गिरी महंत नरेंद्र गिरी के सबसे प्रिय और 15 साल पुराने शिष्य हैं। वह मूल रुप से उत्तराखंड के रहे वाले हैं, उन्होंने साल 2005 में अपना घर परिवार छोड़ दिया था और फिर संत बन गए थे। नरेंद्र गिरी ने उन्हें दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया था।
बताया जाता है कि बलवीर गिरी और आनंद गिरी एक साथ ही मंहत नरेंद्र गिरी के शिष्य बने थे। दोनों की आपस में अच्छी भी बनती थी, लेकिन आनंद गिरी के रवैया बलगिरी को पसंद नहीं आया और उन्होंने उनसे दूरी बना ली थी। इसी बीच वह नरेंद्र गिरी के सबसे प्रिय शिष्य बन गए। जब महंत ने आंनद गिरी को निष्कासन किया था तो बलवीर नंबर दो की हैसियत पर आ गए थे।
वर्तमान में निरंजनी अखाड़े के महंत सचिव स्वामी रामरतन गिरि ने बताया था कि बलवीर गिरी एक अच्छे विचारों वाले महा संत हैं। वह नरेंद्र गिरी के सामने अखाड़े में महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं। उन्हें मठ से जुड़े कोई भी फैसला लेने की छूट थी। वह जो भी कार्य करते हैं संत हित में करते हैं।
महंत नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में लिखा-मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे। प्रिय बलवीर मठ मंदिर की व्यवस्था का प्रयास वैसे ही करना, जैसे मैंने किया है। साथ ही मेरी सेवा करने वाले शिष्यों मिथिलेश पांडे, राम कृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, विवेक कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्जवल द्विवेदी, प्रज्ज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भर द्विवेदी, सुमित तिवारी का ख्याल रखना। उनका तुम अच्छे से ध्यान रखना।