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ऐसे अपराधी जिंदा रहे तो और भी बेटे शहीद होंगे...विकास दुबे की गिरफ्तारी पर 8 शहीदों के परिवार का रिएक्शन

कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसवालों के हत्यारे विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया। 250 रु. की पर्ची कटवाकर वो महाकाल भगवान के दर्शन के लिए जा रहा था लेकिन इससे पहले वहां मौजूद गार्ड से उसकी नोकझोंक हो गई। गार्ड के पूछने पर उसने अपना नाम कानपुर का विकास दुबे बताया और इसके बाद उसे पकड़ लिया गया। बता दें, 2 जुलाई देर रात पुलिस की टीम विकास को गिरफ्तार करने गई थी, जिसके बाद उसके गुर्गों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 8 पुलिसवाले शहीद हो गए थे। तब से पुलिस उसे ढूढ़ रही थी।

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Asianet News Hindi
Published : Jul 09 2020, 07:04 PM IST| Updated : Jul 09 2020, 08:02 PM IST
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मप्र के उज्जैन से विकास दुबे की गिरफ्तारी पर शहीदों के परिजन खुश नहीं हैं। सवाल खड़ा करते हुए सबका कहना है, पूरी मशीनरी यूज करने के बाद आखिरकार पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार नहीं कर पाई। सब मिले हैं, उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। एशियानेट न्यूज हिंदी ने शहीद हुए जवानों के परिवार से बात की। आइए जानते हैं विकास के पकड़े जाने पर आखिर वो खुश क्यों नहीं हैं, उनका इसपर क्या  रिएक्शन है और अब वो सरकार से क्या चाहते हैं।

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(शहीद अनूप सिंह के पिता)

प्रतापगढ़ के रहने वाले यूपी पुलिस से शहीद सब-इंस्पेक्टर अनूप सिंह के पिता रमेश बहादुर सिंह ने यूपी पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, "जिस तरह से 8 बेटों की हत्या हुई, वैसे ही इस अपराधी की भी हत्या होनी चाहिए। यूपी पुलिस विकास दुबे को क्यों गिरफ्तार नहीं कर पाई। सीमा सील होने के बाद भी वह मध्य प्रदेश कैसे पहुंचा? पुलिस अपराधियों से मिली है। उसे राजनीतिक संरक्षण मिला है। अगर ऐसे अपराधी देश में जिंदा रहेंगे तो और भी बेटे शहीद होंगे। ऐसे अपराधी का एनकाउंटर होना चाहिए।"

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(शहीद सब इंस्पेक्टर महेश यादव)

 

रायबरेली के रहने वाले शहीद सब इंस्पेक्टर महेश यादव के बेटे महेश भी विकास की गिरफ्तार पर खुश नहीं हैं। उनका कहना है, "जो भी नेता और पुलिस वाला उसकी मदद कर रहा था, जिनका-जिनका सहयोग था उसकी डिटेल निकालकर जनता को बताया जाए। उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाए।विकास ने सुनियोजित तरीके से सरेंडर किया है, ये पुलिस की नाकामी है। हम सरकार से मांग करते हैं जैसे उसने हमारे पिता का हाल किया वैसे ही उसके साथ भी किया जाना चाहिए।"

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(शहीद सब इंस्पेक्टर नेबू लाल बिंद के पिता)

प्रयागराज के रहने वाले शहीद सब इंस्पेक्टर नेबू लाल के पिता का अभी तक बुरा हाल है। वह किसी से बात भी नहीं कर पा रहे हैं । उनके भाई विजय प्रकाश ने इस गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है, "एक बात समझ से परे है कि जब विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस ने हर जगह जाल बिछाया था तो वह बचकर उज्जैन कैसे पहुंच गया। अब भी सफेदपोश और पुलिस विभाग में मौजूद कुछ लोग उसकी मदद कर रहे हैं।" 

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(शहीद सुल्तान सिंह वर्मा)

झांसी के रहने वाले शहीद सिपाही सुल्तान सिंह वर्मा के परिजनों में भी विकास दुबे की इस तरह की गिरफ्तारी को लेकर गुस्सा है। सुल्तान सिंह की पत्नी उर्मिला का कहना है, "मेरे पति की मौत विभागीय लोगों की वजह से हुई है। जिन लोगों ने विकास जैसे राक्षसों से चंद लाभ के चक्कर में 8 लोगों को मौत के घाट उतरवा दिया, उनको सजा मिलनी चाहिए। उनकी आत्मा को शांति तब मिलेगी जब विकास दुबे व इस मामले में शामिल सभी लोगों को मौत मिलेगी।"

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(सीओ देवेंद्र मिश्र के रिश्तेदार कमलाकांत मिश्रा)

सीओ देवेंद्र मिश्र के रिश्तेदार कमलाकांत मिश्रा ने कहा, ''ये गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि विकास को मौत से बचाया गया है। एक दिन पहले विकास को फरीदाबाद में देखा गया। अगले दिन वह सुरक्षित उज्जैन में महाकाल मंदिर पहुंच गया। फरीदाबाद से उज्जैन का 12 घंटे का रास्ता है। 8 पुलिसवालों की हत्या अकेले विकास या उसके गैंग ने नहीं की है। उसके साथ दूसरे लोग भी शामिल थे, जो अब तक उसे बचाते आ रहे हैं। उन्हीं लोगों की सलाह पर विकास ने सरेंडर किया है।"

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(शहीद बबलू कुमार)

आगरा के शहीद सिपाही बबलू कुमार के भाई भी बहुत गुस्से में हैं। उनका कहना है, "आखिर विकास बच कैसे गया। सवाल ये है कि क्या उसे बचाया गया। उसे जिंदा जला दिया जाना चाहिए। उसे वीभत्स मौत देकर ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।"

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(शहीद जीतेंद्र पाल के परिजन)

मथुरा के रहने वाले शहीद सिपाही जीतेंद्र का परिवार भी विकास दुबे की गिरफ्तारी खुश नहीं है। पिता तीर्थ पाल ने कहा, "बेटे की आत्मा को तब शांति मिलेगी जब हत्यारे को चौराहे पर मौत दी जाएगी। पुलिस विभाग के विश्वासघातियों को भी सबके सामने सजा मिलनी चाहिए। उन्हें बेनकाब करते हुए विभाग के विभीषणों को बेनकाब करना चाहिए।"

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(शहीद राहुल कुमार की बहन नंदिनी) 

औरैया के शहीद सिपाही राहुल कुमार के परिजन भी इस गिरफ्तारी पर आक्रोश में हैं। राहुल के पिता ओम कुमार ने कहा, "यदि पुलिस विकास दुबे जैसे दानव को सही ढूंढ रही थी तो आखिर वह उज्जैन पहुंचा कैसे? उसके उज्जैन पहुंचने और वहां सरेंडर होने में बड़ा खेल हुआ है।''

शहीद की बहन नंदिनी ने कहा, "जब तक विकास दुबे कुत्ते की मौत नहीं मरेगा, तब तक बेटे की आत्मा को शांति नहीं मिल सकती है। विकास दुबे को गोली मार देना चाहिए।''

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