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गणितज्ञ रामानुजन की लाइफ के फैक्ट्स

तमिलनाडु : 22 दिसंबर को महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्मदिन है। इस दिन को नेशनल मैथमेटिक्स डे के रूप में मनाया जाता है। मात्र 32 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले रामानुजन की जिंदगी से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं, जो बहुत कम लोगों को पता है। दुनियाभर को अपने गणित के ज्ञान से अचंभित करने वाले श्रीनिवास रामानुजन ने अपने गणित के ज्ञान से दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई। उनका जन्म 1887 में इरोड, तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता एक कपड़ा व्यवसायी के यहां मुनीम थे जबकि मां होममेकर थीं, जो मंदिरों में गाने भी गाती थीं। आज हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें काफी कम लोग जानते हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : Dec 22 2019, 11:37 AM IST| Updated : Dec 22 2019, 02:13 PM IST
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मात्र 13 साल की उम्र में रामानुजन बिना किसी की मदद के लोनी ट्रिग्नोमेट्री सॉल्व कर लेते थे। उनके माता-पिता उनकी इस प्रतिभा के कायल थे।
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स्कूल में उनका कोई भी दोस्त नहीं था। इसका कारण था कि रामानुजन हमेशा मैथ्स की दुनिया में खोये रहते थे। उनकी बातें क्लासमेट्स समझ नहीं पाते थे।
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उनके पास कोई भी डिग्री नहीं थी। ऐसा इसलिए कि वो आर्ट्स में फेल हो गए थे। उनके मैथ्स के अलावा सभी सब्जेक्ट्स के काफी कम मार्क्स आए थे।
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रामानुजन की 1909 में जानकी अम्मल से शादी हुई थी। उस समय जानकी मात्र 9 साल की थीं। जानकी ने बाद में बॉटनी में पीएचडी किया। इस उपाधि को पाने वाली वो पहली महिला थीं।
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पेपर की कीमत ज्यादा होने के कारण रामानुजन अपने मैथ्स के फाइंडिंग को स्लेट में लिखते थे। उनकी मौत के बाद ऐसे कई डॉक्युमेंट्स मिले, जिसमें लिखे गए फार्मूला से आज भी कई मैथ्स के सम सॉल्व होते हैं।
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रामानुजन ने जी एच हार्डी की किताब ऑर्डर्स ऑफ इंफिनिटी के प्रभावित होकर उन्हें चिट्ठी लिखी। इसके बाद 1913 में वो हार्डी के साथ इंग्लैंड गए। लेकिन वहां का माहौल उन्हें रास नहीं आया। साथ ही विदेश का कल्चर और खाना भी उन्हें सूट नहीं किया।
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इंग्लैंड आने के बाद रामानुजन की तबियत काफी खराब रहने लगी।
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आज रामानुजन के तमिलनाडु के घर को म्यूजियम बना दिया गया है। जहां उनकी लाइफ से जुड़ी कई चीजें प्रदर्शित की गई है।

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