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श्रीलंका में महंगाई: भारत में कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में बजाई गई थी थाली, श्रीलंकाई गुस्से में पीट रहे

कोलंबो. 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका अब तक की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। महंगाई ने लोगों के सामने जीवन का संकट पैदा कर दिया है। सरकार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (PM Mahindra Rajpaksha) के अलावा श्रीलंका के पूरे कैबिनेट के सभी 26 मंत्रियों के इस्तीफा देने के बावजूद लोग आंदोलित हैं। देश में इमरजेंसी लगी हुई है। इस बीच लोग सड़कों पर उतरकर खाली बर्तन बजा रहे हैं। बता दें कि भारत में कोरोना संकट के दौरान कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में खाली बर्तन बजाए गए थे। श्रीलंका में लोग गुस्से में बर्तन बजा रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में बच्चे भी शामिल हैं। बता दें कि इस समय श्रीलंका 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा है। यहां का 70 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है। पिछले एक महीने में 45 प्रतिशत करेंसी गिरी है। बता दें कि इस समय एक डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपए की कीमत 292.50 पहुंच चुकी है। यहां 10 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है। मानवाधिकार आयोग ने इमरजेंसी पर उठाए सवाल... 

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Amitabh Budholiya
Published : Apr 04 2022, 10:59 AM IST
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इमरजेंसी पर मानवाधिकार आयोग ने उठाया सवाल
श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग (HRCSL) ने आवश्यक वस्तुओं की निरंतर कमी को दूर करने की दिशा में सरकार की नाकामी के खिलाफ 3 मार्च को एक नियोजित विरोध अभियान के जवाब में देशव्यापी आपातकाल की घोषणा पर सवाल उठाया है, जिसमें भोजन, दवा और ईंधन महंगा होने की बात कही गई है। कार्यवाहक निदेशक अनुसंधान और निगरानी निहाल चंद्रसिरी ने मीडिया संस्थान द आइलैंड से कहा कि HRCS का मानना ​​​​है कि इमरजेंसी का ऐलान पर्याप्त स्पष्टीकरण दिए बिना किया गया। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को क्या खतरा है। HRCSL में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रोहिणी मरासिंघे, वेन के अलावा कालूपहाना प्रियरत्न थेरा, डॉ. एम.एच. निमल करुणासिरी, डॉ. विजेता नानायकारा और सुश्री अनुसूया षणमुगनाथन शामिल हैं।

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इतनी महंगाई हो चुकी है श्रीलंका में
श्रीलंका में महंगाई सुरसा का मुंह बाए खड़ी है। कोलंबो में गेहूं और चावल क्रमश: 220 रुपये किलो और 190 रुपये किलो बिक रहा है। नारियल तेल 850 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है। इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, एक अंडे की कीमत 30 रुपये है, और दूध पाउडर के 1 किलो पैक की कीमत 1,900 रुपये है। यहां खुदरा मुद्रास्फीति(retail inflation)फरवरी में पहले ही 17.5 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

यह भी पढ़ें-श्रीलंका में संकट गहराया, पीएम राजपक्षे के बेटे सहित कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने सौंपा इस्तीफा
 

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32 आंदोलनकारी सोमवार तक रिमांड पर
इस बीच पुलिस मुख्यालय ने बताया कि सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम और दंड संहिता के तहत 47 लोगों में से 32 को 4 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया और बाकी को जमानत दे दी गई।

यह भी पढ़ें-दुनिया का ऐसा देश जहां राष्ट्रपति, पीएम से लेकर मंत्री तक एक ही परिवार के, क्या है इस कुनबे की पूरी कहानी
 

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600 से अधिक नए आंदोलनकारी गिरफ्तार
इधर रविवार को श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू का उल्लंघन करने और सरकार विरोधी रैली करने पर पुलिस ने 600 से अधिक लोगों को अरेस्ट किया है। श्रीलंकाई लोग इस संकट के लिए राजपक्षे परिवार को दोषी मान रही है।

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हालत बहुत बुरे हैं श्रीलंका के इस समय
श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। श्रीलंका में खाद्य और आवश्यक वस्तुएं जैसे- ईंधन और गैस की गंभीर कमी है। कई घंटे बिजली कटौती हो रही है।

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यह है श्रीलंका की मौजूदा हालत की वजह
श्रीलंका की मौजूदा हालात मार्च 2020 में आयात पर प्रतिबंध लगाने के लंका सरकार के फैसले के बाद से हुई है। सरकार ने 51 अरब डॉलर के कर्ज के लिए विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए यह कदम उठाया था। लेकिन इससे आवश्यक वस्तुओं की बड़े स्तर पर कमी हो गई। उनकी कीमतें बढ़ गईं।

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चीन से कर्ज लेकर फंसा
श्रीलंका ने अपने गले में यह फंदा चीन से उधारी लेकर डाला है। चीन अपनी बेल्ट एंड रोड पहल(China’s Belt and Road Initiative) के तहत गरीब और छोटे देशों को कर्ज दे रहा है। इसे  पहले वन बेल्ट वन रोड या संक्षेप में OBOR के रूप में जाना जाता था। लगभग 70 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश करने के लिए 2013 में चीनी सरकार द्वारा अपनाई गई एक वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास रणनीति(global infrastructure development strategy) है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले ही यह स्वीकार कर चुके हैं कि श्रीलंका पर 10 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है।

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श्रीलंका में गहराए आर्थिक संकट के खिलाफ लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। वे इसके लिए सरकार की खराब नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद श्रीलंका ने सोमवार तक द्वीप-व्यापी कर्फ्यू लगा दिया है।

About the Author

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Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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