सार
लॉकडाउन के बीच मजदूरों की परेशानियों से जुड़ीं कई खबरें सामने आ रही हैं। मजदूरों को नौकरी से निकाले जाने और उन्हें पैसा न देने की शिकायतें आम हो चली हैं। लेकिन यह मामला चौंकाता है। इस मजदूर महिला का आरोप है कि उसके ठेकेदार ने शर्त रखी थी कि वो उसके साले से शादी कर ले। महिला का कहना है कि वो अपने पति के साथ रहती है। उसकी एक बच्ची है। ऐसे में शर्त कैसे मानती? लिहाजा ठेकेदार ने उसे नौकरी से निकाल दिया।
सोनीपत, हरियाणा. लॉकडाउन ने मजदूरों की जैसे कमर तोड़ दी है। प्रधानमंत्री के आह्वान के बावजूद उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। लेकिन यह मामला चौंकाता है। इस मजदूर महिला का आरोप है कि ठेकेदार ने शर्त रखी थी कि वो उसके साले से शादी कर ले। महिला का कहना है कि वो अपने पति के साथ रहती है। उसकी एक बच्ची है। ऐसे में शर्त कैसे मानती? लिहाजा ठेकेदार ने उसे नौकरी से निकाल दिया। घटना मलिकपुर गांव की है।
बच्ची के इलाज के लिए मांगे थे पैसे..
बिहार के मधेपुरा की रहने वाली कल्पना अपने पति सन्नौज और 4 साल की बेटी महिमा के साथ इन दिनों सड़क पर जिंदगी गुजार रही है। उसने बताया कि वो गांव के ठेकदार रविंद्र के यहां काम करते थे। ठेकेदार ने ही उन्हें किराये पर कमरा दिलवा रखा था। डेढ़ महीने पहले उसकी बच्ची छत से गिर पड़ी। इससे उसका पैर टूट गया। कल्पना ने कहा कि जब उसने ठेकेदार से बच्ची के इलाज के लिए पैसे मांगे, तो उसने अजीब शर्त रख दी। महिला ने बताया कि ठेकेदार ने कहा कि वो उसके साले से शादी कर ले। महिला ने यह शर्त मानने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर ठेकेदार ने उसे नौकरी से निकाल दिया। कमरा भी खाली करा लिया। इसके बाद वो पूरे परिवार के साथ सड़क पर रह रही है। महिला ने बताया कि उसने ठेकेदार के पैर तक पकड़े, लेकिन उसका दिल नहीं पसीजा। वो पहले सही शादीशुदा है, फिर ठेकेदार के साले से शादी कैसे कर सकती है। इस मामले की शिकायत मुरथल थाने में की गई है। एसएचओ सुमित कुमार ने बताया कि महिला के बयान के आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है। आगे पढ़िए औरंगाबाद की बिंदिया की कहानी...
लुधियाना से औरंगाबाद पैदल निकली 9 महीने की गर्भवती
लॉकडाउन ने कइयों के घरों की खुशियां छीन ली हैं। यह दु:खद कहानी औरंगाबाद की रहने वाली बिंदिया की भी है। 9 महीने की गर्भवती बिंदिया को मजबूरी में लुधियाना से अपने घर के लिए पैदल निकलना पड़ा। यह दूरी कोई मामूली नहीं थी। उसे पूरे 1350 किमी चलना था। लेकिन अंबाला पहुंचने पर उसे लेबर पैन हुआ। कुछ लोगों की मदद से हॉस्पिटल ले जाया गया। उसने एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन वो मर चुकी थी। बिंदिया के आंसू नहीं रुक रहे। यह उसका पहला बच्चा था। काम-धंधा बंद होने से बिंदिया और उसके पति को घर लौटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।