सार

Maths Dyslexia: अक्सर देखा जाता है कि बच्चे हर सब्जेक्ट में अच्छे होते हैं लेकिन मैथ्य में कमजोर। वो इस सब्जेक्ट से डरते हैं। ये एक तरह की बीमारी होती है जिसके बारे में बहुत ही कम माता-पिता जान पाते हैं। आइए जानते हैं इस बीमारी और बचाव के बारे में।

हेल्थ डेस्क. बहुत ही कम बच्चे के अंदर पढ़ाई को लेकर उत्साह होता है। लेकिन धीरे-धीरे उनका मन पढ़ाई में रमने लगता है। उनका फेवरेट सब्जेक्ट भी हो जाता है। किसी को साइंस पसंद होता है तो किसी का पसंदीदा विषय हिंदी या फिर हिस्ट्री बन जाता है। लेकिन बहुत ही कम बच्चे का फेवरेट सब्जेक्ट मैथ्स होता है। हर विषय में तेज होने के बावजूद वो गणित में कम नंबर लेकर आते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम हैं कि कुछ केसेज में यह बीमारी की वजह से होती है। उस बीमारी का नाम हैं मैथ्स डिस्लेक्सिया( Maths Dyslexia)। अगर किसी को मामूली सवाल को हल करने में दिक्कत होती है तो इसके तह तक जाने की कोशिश करें। चलिए इस बीमारी के बारे में बताते हैं।

मैथ्स डिस्लेक्सिया के शिकार बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैथ्स के आसान सवाल भी वो हल नहीं कर पाते हैं। जैसे मल्टीप्लिकेशन, फ्रेक्शन, डिविजन जैसे सवाल हल करने में उन्हें दिक्कत होती है। वो उल्टी और सीधी गिनती में भी कंफ्यूज हो जाते हैं। वो अपनी उंगली पर गिने बैगर छोटे सवाल भी हल नहीं कर पाते हैं। एक स्टडी के मुताबिक मैथ्स डिस्लेक्सिया एक जेनेटिकल प्रॉब्लम है। इसके साथ ही कम उम्र में बच्चे मैथ्स को टफ मान लेते हैं। जिसकी वजह से वो गणित के सवालों से घबराते हैं। वो अंदर ही अंदर डरने लगते हैं और इसे बीमारी मान बैठते हैं। 

क्या है इलाज
मैथ्स डिस्लेक्सिया का कनेक्शन दिमाग से हैं। इसका कोई भी सटीक इलाज नहीं हैं। जिन बच्चों में यह समस्या होती है उनके माता-पिता और टीचर को चाहिए कि उसे मैथ्स का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराएं। प्रैक्टिस की वजह से बच्चों के अंदर कॉन्फिडेंस आता है और सवाल को सॉल्व करने लगते हैं। रेगुलर प्रैक्टिस ही इस बीमारी पर काफी हद तक कंट्रोल कर सकता है। 

बच्चे के अंदर कॉन्फिडेंस पैदा करने की जरूरत

माता-पिता या टीचर को बच्चे में मैथ्स डिस्लेक्सिया होने का पता चले तो उन्हें खास सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। उसके अंदर कॉन्फिडेंस भरने की कोशिश करें कि मैथ्स बेहद आसान है बस फोकस करने की जरूरत हैं। अलग-अलग तरीके से उसे मैथ्स की प्रैक्टिस कराएं। 

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